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देश का ऐसा इकलौता हनुमान मंदिर जहां सिंदूरी नही काली रंग की मूर्ति है स्थापित, धागा बांधने से मिटते हैं रोग

 

हनुमान जी को भगवान राम का परम भक्त माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने अपने प्रभु श्री राम की लंबी आयु और उनकी भक्ति को प्रमाणित करने के लिए अपने पूरे शरीर को सिंदूर से रंग लिया था। यही कारण है कि हनुमान जी को अक्सर लाल या केसरिया रंग में चित्रित किया जाता है। इसके बावजूद, देश के कुछ हिस्सों में उनकी काली मूर्तियां भी स्थापित हैं, जिनके प्रति भक्तों की गहरी आस्था और कई अनोखी मान्यताएं जुड़ी हैं।

जयपुर में हवा महल के पास स्थित काले हनुमान जी का यह मंदिर अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यह मंदिर ‘काले हनुमान जी’ के नाम से प्रसिद्ध है। यहां प्रतिदिन भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन खासतौर पर मंगलवार के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर में हनुमान जी की पूर्वमुखी काली प्रतिमा स्थापित है, जो कई वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है।

देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं जहां हनुमान जी की काली मूर्ति की पूजा होती है, लेकिन जयपुर का यह मंदिर विशेष महत्व रखता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूरी की, तब उन्होंने अपने गुरु सूर्यदेव से गुरु दक्षिणा के रूप में एक विशेष कार्य मांगा। सूर्यदेव ने उनसे कहा कि उनके पुत्र शनिदेव उनकी आज्ञा नहीं मानते, इसलिए उन्हें वापस लाने की जिम्मेदारी हनुमान जी को निभानी होगी। यही गुरु दक्षिणा होगी।

हनुमान जी शनिदेव के पास गए और उनसे अपने पिता के पास वापस जाने की प्रार्थना की। लेकिन शनिदेव ने हनुमान जी को देखते ही क्रोधित होकर अपनी कुदृष्टि डाली, जिससे हनुमान जी का रंग काला पड़ गया। फिर भी हनुमान जी ने अपनी भक्ति और धैर्य से शनिदेव को मनाया। भगवान शनि हनुमान की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्होंने यह वचन दिया कि यदि कोई शनिवार को हनुमान जी की पूजा करेगा तो उनकी बुरी नजर का कोई प्रभाव नहीं होगा।

इस मंदिर की एक अनोखी मान्यता यह भी है कि हनुमान जी के आशीर्वाद से यहां एक चमत्कारी नेत्र-तंतु (आंख की सुरक्षा के लिए डोरी) बनती है। यह नेत्र-तंतु विशेष रूप से बच्चों के लिए बनाई जाती है ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे। इसके कारण लोग देश-विदेश से अपने बच्चों को हनुमान जी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए यहां लाते हैं।

मंदिर के पुजारी नियमित रूप से हनुमान जी की मूर्ति का तेल से अभिषेक करते हैं और चंदन से श्रृंगार करते हैं, जिससे मंदिर का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर रहता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां आने वाले भक्तों के मन को भी शांति और सुरक्षा की अनुभूति होती है।