वृंदावन का रहस्यमयी मंदिर! कहा जाता है भूतों ने एक ही रात में बना डाली थी कई मंजिलें, मुगलों से नाराज़ होकर उठाया कदम
वृंदावन की पावन भूमि भगवान कृष्ण की क्रीड़ास्थली के रूप में जानी जाती है। यहां कई मंदिर हैं जो रहस्यों से भरे हुए हैं। गोविंद देव मंदिर उन्हीं में से एक है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था। भूतों ने एक रात में बहुमंजिला मंदिर बना दिया, लेकिन मंदिर पूरा बनने से पहले ही भूतों को अपना काम छोड़कर भागना पड़ा। कहा जाता है कि सुबह होने वाली थी। भूत मंदिर बनाने में व्यस्त थे, तभी किसी ने चक्की चलानी शुरू कर दी। चक्की की आवाज सुनकर भूत मंदिर का काम छोड़कर भाग गए।
जितने भूत बना सकते थे, बना दिया
कहा जाता है कि मुगल काल में इस मंदिर की रोशनी आगरा तक दिखाई देती थी। इस मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति अब यहां नहीं है। मंदिर के पुजारी मूर्ति की सुरक्षा के लिए इसे जयपुर ले गए। आज वह प्राचीन मूर्ति जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में विराजमान है। पुरातत्व विभाग के कर्मचारी सुरेश लोकल 18 को बताते हैं कि इस मंदिर को गोविंद देव (भूत) मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित है। कहा जाता है कि मुगलों द्वारा तोड़े गए मंदिर का पुनर्निर्माण भूत-प्रेत कर रहे थे, तभी आटा चक्की की आवाज सुनकर भूत भाग गए। आज भी यह मंदिर उतना ही है, जितना भूत बना सकते थे।
कब और किसने की थी खोज?
वृंदावन में गोविंद देव मंदिर का इतिहास बहुत समृद्ध है। यह मंदिर श्री रूप गोस्वामी द्वारा 1525 में खोजी गई भगवान कृष्ण की मूर्ति की याद में बनाया गया था। मूल मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था। मूल मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना था। जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने गोविंद देव जी की मूर्ति को वृंदावन से जयपुर स्थानांतरित किया था। वर्तमान मंदिर जयपुर में सिटी पैलेस परिसर के भीतर है। वृंदावन में गोविंद देव मंदिर में अभी भी अनुष्ठान किए जाते हैं, लेकिन मूल मूर्ति को जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया है। मंदिर में प्रतिदिन सुबह सूर्योदय से पहले मंगला दर्शन की परंपरा है।