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भारत का वो रहस्यमयी मंदिर जहां शिवलिंग के सामने मुर्दे भी लौट आते हैं ज़िंदा, वीडियो मे जाने चमत्कार का रहस्य 

 

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 128 किलोमीटर दूर एक अद्भुत शिव मंदिर है। लाखामंडल नामक स्थान पर होने के कारण इसे 'लाखामंडल शिव मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि महाभारत काल में दुर्योधन ने पांडवों को यहीं जलाकर मारने की कोशिश की थी। वनवास के दौरान युधिष्ठिर ने इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी। जो आज भी मंदिर में मौजूद है। मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग को महामुंडेश्वर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग के सामने मृत व्यक्ति को रखने के बाद पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह जीवित हो जाता था। 

<a href=https://youtube.com/embed/LGzqgQk5ie0?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/LGzqgQk5ie0/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="पवित्र शिवरात्रि व्रत कथा | सुपरफास्ट शिवरात्रि व्रत कथा | Shivratri Vrat Katha" width="853">
कुछ पल के लिए जीवित हुआ व्यक्ति शिव के नाम पर गंगा जल ग्रहण करता है और उसकी आत्मा फिर से शरीर छोड़ देती है। उत्तराखंड की राजधानी से करीब 128 किलोमीटर दूर एक रहस्यमयी शिव मंदिर स्थित है। इस मंदिर को लाखामंडल शिव मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर अपनी रहस्यमयी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि अगर किसी मृत व्यक्ति को यहां शिवलिंग के पास रखा जाए तो वह कुछ पल के लिए जीवित हो जाता है। किंवदंतियों की मानें तो महाभारत काल में दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया था। लेकिन पांडव इसके पीछे बनी गुफा से बच निकले थे। दूसरी मान्यता यह है कि युधिष्ठिर ने यहां शिवलिंग बनवाया था जो आज भी मंदिर में मौजूद है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर किसी मृत व्यक्ति को यहां शिवलिंग के पास रखा जाए तो वह जीवित हो जाता है। फिर जीवित व्यक्ति उठकर गंगा जल पीता है और कुछ ही क्षणों के बाद उसकी आत्मा शरीर छोड़ देती है।4. यहां खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को अलग-अलग आकार और प्रकार के शिवलिंग मिले हैं। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे बरनीगढ़ नामक स्थान के पास स्थित है।ऐसी मान्यता है कि अगर किसी मृत व्यक्ति को इन द्वारपालों के सामने रखा जाता तो पुजारी द्वारा मंत्रों से अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह जीवित हो जाता था। पुनर्जीवित होने के बाद व्यक्ति शिव का नाम लेता है और गंगा जल पीता है। गंगा जल पीते ही उसकी आत्मा फिर से शरीर छोड़ देती है।

मंदिर के पीछे दो द्वारपाल पहरेदार के रूप में खड़े नजर आते हैं, दोनों द्वारपालों में से एक का हाथ कटा हुआ है जो एक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। वहीं इस मंदिर के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने वाले का चेहरा साफ दिखाई देता है। महामंडलेश्वर शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि जो भी महिला पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से महाशिवरात्रि की रात मंदिर के मुख्य द्वार पर बैठकर शिव मंत्र का जाप करती है, उसे एक वर्ष के अंदर पुत्र की प्राप्ति होती है।