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जयपुर का वो किला, जहां रुक गए थे मजदूरों के दिल… 3 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में नाहरगढ़ से जुड़ी डरावनी दास्तां देख काँप जाएगी रूह 

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर को गुलाबी नगर के नाम से जाना जाता है। यहां के महल, हवेलियां और किले भारत की शान हैं। इन्हीं में से एक है अरावली की पहाड़ियों पर स्थित नाहरगढ़ किला। दिन के समय तो यह किला अपनी खूबसूरती, वास्तुकला और राजसी विरासत के लिए जाना जाता है, लेकिन सूरज ढलते ही इस किले का एक और रूप सामने आता है- डरावना, रहस्यमय और खौफनाक रूप। कहा जाता है कि इस किले से जुड़ी कुछ ऐसी कहानियां हैं, जिन्हें सुनकर किसी की भी रूह कांप जाएगी। इनमें सबसे चौंकाने वाली कहानी है- "जब किला बनाते समय मजदूरों के दिल रुक गए!"

<a href=https://youtube.com/embed/NRLlcHO24GA?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/NRLlcHO24GA/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Nahargarh Fort Jaipur | नाहरगढ़ किले का इतिहास, कब-किसने बनाया, वास्तुकला और भूतिया रहस्य" width="1250">
नाहरगढ़ किले का इतिहास
नाहरगढ़ किले का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में करवाया था। इसका उद्देश्य जयपुर शहर को सुरक्षा प्रदान करना था। यह किला जयगढ़ और आमेर किले के साथ त्रिकोणीय सुरक्षा दीवार का हिस्सा था। भले ही यह किला आज एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है, लेकिन इसके निर्माण के पीछे की कहानियां किसी डरावनी कहानी से कम नहीं हैं।

किला निर्माण के दौरान रहस्यमयी मौतें
इतिहास के जानकारों और स्थानीय लोगों के अनुसार, जब नाहरगढ़ किले का निर्माण शुरू हुआ, तो एक के बाद एक कई मजदूर रहस्यमयी तरीके से मृत पाए गए। कुछ की मौत पत्थर गिरने से हुई, जबकि कुछ की बिना किसी कारण के हृदय गति रुक ​​गई। इन घटनाओं से मजदूरों में दहशत फैल गई और उन्होंने काम करना बंद कर दिया। धीरे-धीरे यह अफवाह फैल गई कि इस जगह पर कोई अदृश्य शक्ति या आत्मा है, जो किले के निर्माण में बाधा डाल रही है। यहां तक ​​कि कुछ मजदूरों ने रात में अजीबोगरीब आवाजें सुनने और परछाई देखने का दावा भी किया।

'नाहर' नाम के पीछे डरावनी मान्यता
कहा जाता है कि इस किले का नाम 'नाहरगढ़' इसलिए रखा गया क्योंकि 'नाहर सिंह भानगढ़' नामक राजा की आत्मा यहां भटक रही थी। लोककथाओं के अनुसार, जब भी किले की नींव रखी जाती थी, तो यह किसी न किसी कारण से ढह जाता था। एक तांत्रिक को बुलाया गया, जिसने बताया कि नाहर सिंह की आत्मा को शांति दिए बिना इस जगह पर कुछ भी नहीं बनाया जा सकता। इसके बाद विशेष पूजा-अर्चना की गई और किले का नाम राजा नाहर सिंह के नाम पर 'नाहरगढ़' रखा गया - ताकि आत्मा संतुष्ट हो और निर्माण कार्य न रुके।

मजदूरों की चीख-पुकार और आत्महत्या की कहानियां
किले के पुराने हिस्सों में काम करने वाले कुछ वंशजों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने रात में किले में अजीबोगरीब घटनाएं देखी थीं। कई बार पत्थर अपने आप गिर जाते थे, औजार गायब हो जाते थे और मजदूरों को ऐसा लगता था कि कोई अदृश्य शक्ति उनका पीछा कर रही है। सबसे डरावनी कहानी यह है कि कुछ मजदूरों ने किले की दीवारों से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। सुबह उनके शव किले की तलहटी में मिले, लेकिन उनकी आत्महत्या का कोई ठोस कारण नहीं मिल सका।

रात में बंद हो जाता है किला
आज भी नाहरगढ़ किला सूर्यास्त के बाद बंद कर दिया जाता है। प्रशासन का कहना है कि ऐसा पर्यटकों की सुरक्षा के लिए किया जाता है, लेकिन स्थानीय लोग जानते हैं कि रात में यहां रहना बेहद डरावना हो सकता है। कई लोगों ने बताया कि उन्हें किले की दीवारों से कराहने की आवाजें सुनाई देती थीं, जबकि कुछ ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता था जैसे कोई परछाई उनका पीछा कर रही है।

पर्यटकों को भी कुछ अजीब लगा

कुछ बहादुर पर्यटकों ने रात में किले में रुकने की कोशिश की। लेकिन उनमें से कई डर के मारे भाग गए। एक जोड़े ने दावा किया कि उन्होंने दीवार पर एक महिला की छाया देखी, जबकि वहां कोई नहीं था। एक विदेशी ब्लॉगर ने बताया कि किले की एक दीवार पर हाथ रखने के बाद उसे तेज जलन और भारीपन महसूस हुआ, जो वहां से दूर जाते ही गायब हो गया।

निष्कर्ष: इतिहास और रहस्य का संगम
नाहरगढ़ किला जयपुर की शान है, लेकिन इसके भीतर छिपे रहस्य इसे भारत के सबसे डरावने किलों में से एक बनाते हैं। यह सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि एक ऐसी जगह है जहां इतिहास और अंधविश्वास टकराते हैं। तो अगली बार जब आप जयपुर जाएं, तो नाहरगढ़ जरूर जाएं - लेकिन याद रखें, सूर्यास्त से पहले वहां से लौटना समझदारी होगी।