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देश का ऐसा रहस्यमयी मंदिर, जहां आज भी धड़कता है भगवान श्रीकृष्ण का दिल, जानें कहां मौजूद है ये मंदिर

 

भारत में हजारों मंदिर हैं, जिनकी अलग-अलग मान्यताएं और महत्व हैं। इन मंदिरों की मान्यताएं अलग-अलग हैं। लेकिन देश में कई ऐसे रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनके रहस्यों को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। ओडिशा में एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर है, जहां आज भी धड़कता है भगवान कृष्ण का दिल। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का हृदय शरीर त्यागने के बाद भी धड़क रहा है। यह जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है, लेकिन पुराणों में दी गई जानकारी और कुछ सच्ची घटनाओं के बारे में जानने के बाद आप इस बात पर विश्वास करने लगेंगे। सृष्टि के नियमों के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण के मानव रूप में जन्म लेने के बाद उनकी मृत्यु निश्चित थी और इसी नियम के कारण महाभारत युद्ध के ठीक 36 वर्ष बाद भगवान कृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया था। जब पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया तो कृष्ण का पूरा शरीर अग्नि में जल रहा था, लेकिन उनका हृदय अभी भी धड़क रहा था। इसके बाद आकाशवाणी हुई कि यह ब्रह्म का हृदय है, इसे समुद्र में प्रवाहित कर दो। इसके बाद पांडवों ने भी ऐसा ही किया।

इसके अलावा ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में कृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ बैठकर भगवान कृष्ण से कई रहस्य सुनने को मिलते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर के सामने आकर हवा भी अपनी दिशा बदल लेती है। ताकि समुद्र की लहरों की आवाज मंदिर में प्रवेश न कर सके और भगवान को परेशान न कर सके। जैसे ही आप मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर एक कदम रखते हैं, समुद्र की आवाज बंद हो जाती है। इतना ही नहीं, मंदिर का झंडा भी हमेशा हवा से विपरीत दिशा में लहराता हुआ नजर आता है। भगवान कृष्ण का धड़कता हुआ हृदय आज भी श्री जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति में मौजूद है। भगवान कृष्ण के इस हृदय भाग को ब्रह्ममाता कहा जाता है। श्री जगन्नाथ की मूर्ति नीम की लकड़ी से बनी है, जिसे हर 12 साल में बदल दिया जाता है।

भगवान जगन्नाथ की मूर्ति बदलते समय इस ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में रख दिया जाता है। जब यह अनुष्ठान किया जाता है, उस समय पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है। इसके बाद मंदिर के पुजारी भगवान की प्रतिमा बदलते हैं। इस दौरान पुजारी की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और हाथों में दस्ताने पहना दिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई गलती से भी ब्रह्मा के हृदय को देख ले तो उसकी तत्काल मृत्यु हो जाती है। मूर्ति बदलने वाले पुजारी का यह भी कहना है कि इस प्रक्रिया के दौरान ऐसा महसूस हुआ जैसे मूर्ति के अंदर कोई खरगोश छटपटा रहा हो।