×

मां काली का ऐसा चमत्कारी मंदिर, जहां दिन में तीन बार रूप बदलती है देवी की मूर्ति

 

भारत में कई तरह के मंदिर हैं, जहां कई चमत्कार देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जिनके रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर में स्थित है। इस मंदिर में प्रतिदिन भक्तों के चमत्कार देखने को मिलते हैं। यह मंदिर माँ धारी देवी का है। मां धारी देवी को पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षक देवी माना जाता है।

<a href=https://youtube.com/embed/FgMtq9fSLMg?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/FgMtq9fSLMg/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">

आपको बता दें कि यह मंदिर श्रीनगर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां हर दिन चमत्कार देखने को मिलते हैं। यहां मां धारी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। यहां सुबह के समय माता की मूर्ति एक बालिका के रूप में दिखाई देती है और दोपहर में यह मूर्ति एक युवती के रूप में बदल जाती है। जबकि शाम होते ही यह मूर्ति बूढ़ी महिला के रूप में बदल जाती है। मंदिर में आने वाले भक्त भी इस चमत्कार को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

<a href=https://youtube.com/embed/9XRNwL57KXs?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/9XRNwL57KXs/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवी का मंदिर बाढ़ में बह गया था। इस दौरान माता की मूर्ति भी बहकर आगे बढ़ गई और धारो गांव के पास एक चट्टान के पास रुक गई। कहा जाता है कि उस समय मूर्ति से एक दिव्य आवाज निकली, जिसने गांव वालों को मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित करने का निर्देश दिया। जिसके बाद गांव वालों ने वहां देवी का मंदिर बनवाया।

<a href=https://youtube.com/embed/j8JvJICvyZk?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/j8JvJICvyZk/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" style="border: 0px; overflow: hidden;" width="640">
कहा जाता है कि 16 जून 2013 को माता के इस मंदिर को तोड़ दिया गया था और माता की मूर्ति को उसके मूल स्थान से हटा दिया गया था। लोग कहते हैं कि इसी वजह से उस साल उत्तराखंड में भयंकर बाढ़ आई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। जिसके कारण बाद में उसी स्थान पर पुनः मंदिर का निर्माण किया गया।