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जयपुर का ऐसा चमत्कारी मंदिर, जिससे तय होती है नेताओं की सियासी मंजिल, जानें क्या है मान्यता ?

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर ऐतिहासिक धरोहरों और मंदिरों का शहर है, लेकिन इनमें एक ऐसा मंदिर भी है जिसे "सियासत का मार्गदर्शक" कहा जाता है। यह मंदिर न केवल आम श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि राजनेताओं के लिए भी विशेष मान्यता रखता है। कहते हैं कि इस मंदिर में दर्शन किए बिना कोई भी नेता चुनावी मैदान में कदम नहीं रखता। यह मंदिर है – मोती डूंगरी स्थित गणेश जी का मंदिर।

सियासी आस्था का केंद्र क्यों है यह मंदिर?

राजस्थान ही नहीं, देशभर के कई बड़े नेता चुनावों से पहले जयपुर स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन करने आते हैं। कारण स्पष्ट है — इस मंदिर को "विघ्नहर्ता" गणेश जी का ऐसा स्थान माना जाता है, जहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना से बड़ी से बड़ी बाधा भी दूर हो जाती है। नेताओं की मान्यता है कि अगर चुनावी नामांकन या प्रचार से पहले इस मंदिर में दर्शन कर लिए जाएं, तो विजय निश्चित होती है। कई बार देखा गया है कि बड़े-बड़े मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक और यहां तक कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मंदिर में पूजा करके ही किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं।

मंदिर का इतिहास और स्थापना की कथा

मोती डूंगरी गणेश मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में जयपुर रियासत के राजा मदो सिंह प्रथम द्वारा कराया गया था। महाराष्ट्र से लाई गई भगवान गणेश की इस मूर्ति को रथ पर रखकर जयपुर लाया गया था। मान्यता है कि जिस स्थान पर रथ रुक गया, वहीं मंदिर की स्थापना की गई। यह मूर्ति दक्षिणमुखी है, जो शास्त्रों में अत्यंत शुभ मानी जाती है।

सियासत और मंदिर का जुड़ाव – कुछ उदाहरण

  • अशोक गहलोत से लेकर वसुंधरा राजे तक, सभी मुख्यमंत्रियों ने इस मंदिर में जाकर आशीर्वाद लिया है।

  • चुनाव के वक्त हर प्रमुख दल के नेता – चाहे वो भाजपा के हों या कांग्रेस के – नामांकन से पहले इस मंदिर में लड्डू और नारियल चढ़ाते देखे गए हैं।

  • यहां तक कि केंद्रीय नेताओं की जयपुर यात्रा में भी इस मंदिर का दर्शन कार्यक्रम में शामिल होता है।

यह परंपरा अब सियासी रणनीति का हिस्सा बन चुकी है, जहां नेताओं को अपनी "सियासी मंजिल" तय करने से पहले गणेश जी का आशीर्वाद लेना अनिवार्य सा लगता है।

क्या कहती है मंदिर से जुड़ी मान्यता?

यहां एक खास मान्यता प्रचलित है कि यदि कोई व्यक्ति यहां पहली बार दर्शन के लिए आता है और सच्चे मन से मन्नत मांगता है, तो उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है। यही कारण है कि आम आदमी से लेकर मंत्री तक — सभी यहां आकर सिर झुकाते हैं। राजनीतिक गलियारों में तो यह तक कहा जाता है कि अगर किसी नेता ने मोती डूंगरी में गणेश जी को नजरअंदाज कर दिया, तो उसका चुनावी सफर अधूरा रह सकता है।

हर बुधवार को लगता है जनसैलाब

हर बुधवार को यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। मंदिर प्रांगण में भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण का विशेष आयोजन होता है। चुनाव के समय यह भीड़ और अधिक बढ़ जाती है, जब नेताओं के काफिले यहां दर्शन करने आते हैं और मीडिया की सुर्खियों में छा जाते हैं।