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रात में जयगढ़ किले में होती हैं अजीब घटनाएं! वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए इन रहस्यों की पहेली, कमजोर दिल वाले ना देखे ये वीडियो

 

जयपुर की अरावली पहाड़ियों पर स्थित जयगढ़ किला, दिन में भव्य इतिहास और स्थापत्य कला का प्रतीक नजर आता है, लेकिन जैसे ही रात की चादर इस किले को ढकती है, यहां का माहौल पूरी तरह से बदल जाता है। ऐसा लगता है जैसे यह किला कोई रहस्यमयी अस्तित्व ओढ़ लेता है। स्थानीय लोग और सुरक्षा कर्मी कहते हैं कि रात के समय जयगढ़ किले में कुछ ऐसा होता है, जिसे विज्ञान आज तक समझ नहीं सका है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/TqcRw_2SJQk?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/TqcRw_2SJQk/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="Jaigarh Fort Jaipur History | जयगढ़ किले का इतिहास, स्थापना, वास्तुकला, खजाना, विश्व की सबसे बड़ी तोप" width="695">

जयगढ़ किला, जो कि आमेर किले से कुछ ही दूरी पर स्थित है, जयपुर के सिसोदिया वंश के शासनकाल में एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा गढ़ के रूप में बनाया गया था। यह किला ‘जयवाना तोप’ के लिए प्रसिद्ध है, जो कि विश्व की सबसे बड़ी पहियों पर चलने वाली तोपों में से एक मानी जाती है। लेकिन इसके इतिहास में कई ऐसे अध्याय हैं, जो रहस्यों और आशंकाओं से भरे हुए हैं।

स्थानीय गाइड्स और किले के पास रहने वाले ग्रामीणों के अनुसार, रात के समय किले की ऊँचाई पर अजीब सी हवाएं बहने लगती हैं, जो अचानक ठंडी और भारी लगने लगती हैं। कई बार रात में किले के अंदर से किसी के पदचाप, महिला के रोने की आवाज या फिर लोहे की ज़ंजीरों के घिसटने की ध्वनि सुनाई देती है। पर जब इन आवाज़ों की जांच करने जाया जाए, तो वहां कुछ भी नहीं मिलता।

क्या है इन रहस्यमयी घटनाओं के पीछे?

इतिहासकारों की मानें तो जयगढ़ किला कभी एक समय में एक गुप्त खजाने का ठिकाना था। माना जाता है कि राजा सवाई जयसिंह ने इस किले में मुगलों से बचाकर एक बड़ी धनराशि छिपाई थी। आज भी इस बात के प्रमाण पूरी तरह से नहीं मिले हैं कि वह खजाना वहां मौजूद है या नहीं, लेकिन इसी खजाने को लेकर कई कहानियां जन्म ले चुकी हैं।कई बार ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं जहां लोगों ने दावा किया कि उन्होंने किसी साये को चलते देखा है, या फिर किसी पुरानी पोशाक में सजे व्यक्ति को अचानक गायब होते देखा है। कुछ पर्यटक बताते हैं कि उन्होंने बिना किसी इंसान के कदमों की आवाजें सुनी हैं या उनके कैमरे में अजीब सी धुंधली आकृतियां कैद हो गईं।

वैज्ञानिकों और पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स की राय

राजस्थान यूनिवर्सिटी के एक वैज्ञानिक दल ने 2021 में जयगढ़ किले के कुछ हिस्सों की मैग्नेटिक फील्ड और इन्फ्रारेड कैमरों से जांच की थी, लेकिन उन्हें कोई ठोस पैरानॉर्मल सबूत नहीं मिला। हालांकि, कुछ कैमरों में ऊष्मा संकेतक असामान्य ढंग से तेजी से बदलते पाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह किसी अज्ञात ऊर्जा स्रोत या ऐतिहासिक धातु संरचनाओं की वजह से भी हो सकता है।वहीं, कुछ पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर्स का दावा है कि किले की दीवारों के पीछे "रिटेन्ड मेमोरी" यानी पुरानी घटनाओं की ऊर्जा बसी हुई है, जो रात के समय खास परिस्थितियों में सक्रिय हो जाती है। उनके अनुसार, यह किसी आत्मा या भूत-प्रेत की उपस्थिति नहीं, बल्कि स्थान विशेष की “एनर्जी इको” हो सकती है।

सुरक्षा गार्ड्स और स्थानीय अनुभव

किले के सुरक्षा गार्ड्स की ड्यूटी शिफ्ट में होती है, लेकिन अधिकतर गार्ड्स रात की शिफ्ट को लेकर सहमे रहते हैं। एक गार्ड ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक बार रात के समय उसने देखा कि किले के पिछवाड़े एक औरत खड़ी थी, सफेद लिबास में। जब उसने टॉर्च की रोशनी डाली तो वह आकृति अचानक गायब हो गई।वहीं, पास के गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति बताता है कि उनके दादा कहा करते थे कि यह किला दिन में जितना शांत है, रात को उतना ही बेचैन हो जाता है।