''क्या हिंदू क्या मुस्लमान'' राजस्थान के इस गुरूद्वारे में समाई हैं लाखों स्वतंत्रता सैनानियों की कुर्बानी, वीडियो में देखें इसकी ऐतिहासिक दास्तान
भारत की आज़ादी की गाथा केवल इतिहास की किताबों में ही नहीं, बल्कि कई पवित्र स्थलों में भी समाई हुई है। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में स्थित गुरुद्वारा बुर्ज सिद्धू (Burj Sidhu Gurudwara) एक ऐसा ही स्थान है, जहां धर्म, जाति और संप्रदाय की सीमाएं टूटती नजर आती हैं। यहां न कोई हिंदू है, न मुसलमान, न सिख और न ईसाई — यहां बस भारत मां के लालों की कुर्बानी की कहानियां जिंदा हैं।
गुरुद्वारा बुर्ज सिद्धू वह ऐतिहासिक स्थल है, जो लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का गवाह बना। इतिहासकार बताते हैं कि आजादी के आंदोलन के दौरान इस इलाके ने अनगिनत जांबाजों को जन्म दिया, जिन्होंने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के केवल मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
गुरुद्वारा बुर्ज सिद्धू का गौरवशाली इतिहास
गुरुद्वारा बुर्ज सिद्धू का इतिहास 20वीं सदी के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में अंग्रेजों के खिलाफ जबर्दस्त क्रांति चल रही थी। इस क्षेत्र के हजारों किसानों, मजदूरों और आम नागरिकों ने मिलकर अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाई। उस समय यहां न हिंदू, न मुसलमान, न सिख था — हर व्यक्ति बस भारतीय था, आजादी का दीवाना था। गुरुद्वारा परिसर में उन तमाम बलिदानियों की स्मृतियां आज भी ताजा हैं। कहा जाता है कि इस पावन भूमि ने असंख्य शहीदों की चिताओं का धुआं देखा है, जिसने पूरे देश को आजादी की नई रोशनी दी।
कैसे टूटी धार्मिक दीवारें
आज के दौर में जहां धर्म के नाम पर खाईयां बढ़ती जा रही हैं, वहीं गुरुद्वारा बुर्ज सिद्धू हमें याद दिलाता है कि असली भारत वो है जहां धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत और देशभक्ति को पूजा जाता है। इस गुरुद्वारे में न केवल सिख श्रद्धालु आते हैं, बल्कि हिंदू और मुसलमान भी बड़ी श्रद्धा से मत्था टेकते हैं। त्योहारों के समय यहां हिंदू और मुस्लिम परिवार मिलकर लंगर सेवा करते हैं। भाईचारे का ऐसा दृश्य आज के समय में दुर्लभ है, लेकिन यहां यह सदियों से कायम है।
श्रद्धा और बलिदान का संगम
गुरुद्वारा बुर्ज सिद्धू में हर वर्ष विशेष आयोजन किए जाते हैं, जिसमें आजादी के लिए बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि दी जाती है। यहां की दीवारें आज भी उन नारों को सुनती हैं — "इंकलाब जिंदाबाद", "भारत माता की जय", जो कभी लाखों वीरों के गले से निकली थी। युवा पीढ़ी के लिए यह स्थान एक प्रेरणा है, जो सिखाता है कि धर्म, जाति, भाषा से ऊपर उठकर देशप्रेम को सर्वोपरि मानना चाहिए।
वीडियो में देखें इसकी ऐतिहासिक दास्तान
अगर आप इस ऐतिहासिक स्थान को करीब से जानना चाहते हैं, तो हमने आपके लिए एक विशेष वीडियो तैयार किया है। वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे इस भूमि ने हिंदू-मुस्लिम-सिख एकता की मिसाल पेश की और आज भी देशभक्ति का ज्वाला जलाए हुए है।