लड़की ने ‘जीरो फिगर’ पाने के चक्कर में की ऐसी खतरनाक डाइटिंग, मरते-मरते बची!
आज के दौर में सोशल मीडिया और ग्लैमर की दुनिया ने युवाओं के मन में एक ख़तरनाक सोच बैठा दी है — "परफेक्ट बॉडी ही परफेक्ट पर्सनैलिटी है". इस सोच के दुष्परिणाम अब भयावह रूप लेने लगे हैं। चीन के हुनान प्रांत से सामने आई 16 वर्षीय लड़की मेई की घटना इसका जीता-जागता उदाहरण है। सिर्फ “साइज जीरो” फिगर पाने के लिए मेई ने जो किया, वो न सिर्फ डरावना है, बल्कि एक गंभीर चेतावनी भी है।
‘साइज जीरो’ की दीवानगी, जो जान पर बन आई
मेई एक आम किशोरी है, जो बाकी लड़कियों की तरह अपने जन्मदिन पर खास दिखना चाहती थी। लेकिन खास दिखने की यह ख्वाहिश इतनी खतरनाक साबित होगी, यह शायद उसने खुद भी नहीं सोचा होगा। अपनी "स्लिम और परफेक्ट फिगर" पाने की चाह में मेई ने दो हफ्तों तक सिर्फ उबली हुई सब्जियां खाना शुरू कर दिया।
शुरुआत में उसे लगा कि वह एक हेल्दी ट्रैक पर चल रही है। वज़न घट रहा था, पेट हल्का लग रहा था, और वह खुद को अच्छा महसूस कर रही थी। लेकिन ये सब सिर्फ एक झूठा भ्रम था। कुछ ही दिनों में उसकी ऊर्जा खत्म होने लगी, और फिर अचानक उसे सांस लेने में परेशानी हुई। वह बेहोश होकर गिर पड़ी।
आईसीयू में 12 घंटे तक मौत से जंग
बेहोशी की हालत में मेई को आनन-फानन में नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने पाया कि उसके शरीर में पोटेशियम की मात्रा खतरनाक स्तर तक गिर गई थी, जिससे उसके अंदरूनी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
डॉक्टरों ने बताया कि पोटेशियम की कमी से इंसान को हार्ट अटैक, अंग विफलता, और यहां तक कि मृत्यु तक हो सकती है। मेई की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने लगातार 12 घंटे तक उसका इलाज किया, और अंत में उसकी जान बचा ली गई।
क्या है पोटेशियम की भूमिका?
पोटेशियम एक बेहद जरूरी मिनरल है, जो शरीर में मांसपेशियों के कामकाज, हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने और कोशिकाओं को ऊर्जा देने के लिए जरूरी होता है। इसकी कमी से व्यक्ति को थकावट, मांसपेशियों में ऐंठन, अनियमित दिल की धड़कन और बेहोशी जैसे लक्षण हो सकते हैं।
मेई की डाइट में प्रोटीन, फैट और मिनरल्स का अत्यधिक अभाव था, क्योंकि वह सिर्फ उबली सब्जियों पर निर्भर थी — जो कि एक असंतुलित और एकतरफा आहार था।
अब ली सबक, कही बड़ी बात
डॉक्टरों की टीम की मेहनत से मेई की जान तो बच गई, लेकिन यह अनुभव उसे जिंदगी भर याद रहेगा। घर लौटने के बाद, मेई ने कहा —
“अब मैं कभी बिना एक्सपर्ट की सलाह लिए डाइटिंग नहीं करूंगी। मुझे समझ आ गया है कि परफेक्ट बॉडी से ज्यादा जरूरी है स्वस्थ शरीर।”
उसने यह भी माना कि सोशल मीडिया पर मॉडल्स और फिटनेस इन्फ्लुएंसर्स की तस्वीरों से प्रभावित होकर उसने यह खतरनाक कदम उठाया। मेई की यह स्वीकारोक्ति एक बेहद जरूरी संदेश है आज की युवा पीढ़ी के लिए।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
पोषण विशेषज्ञों और डॉक्टरों का कहना है कि आजकल के युवा गूगल या सोशल मीडिया पर मिली सलाह को ही डायट प्लान मान लेते हैं, जो बहुत खतरनाक है। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और उसे किस प्रकार की डाइट की ज़रूरत है, यह केवल प्रशिक्षित पोषण विशेषज्ञ ही बता सकता है।
एक डॉक्टर के अनुसार,
“डाइटिंग का मतलब खाना बंद करना नहीं होता, बल्कि संतुलित पोषण के साथ कैलोरी का नियंत्रण होता है। शरीर को एनर्जी देने वाले तत्वों की अनदेखी करने से मौत भी हो सकती है।”
समाज और मीडिया की भूमिका
यह पूरा मामला इस ओर भी इशारा करता है कि आज की पीढ़ी ‘बॉडी शेमिंग’ और ‘परफेक्शनिस्ट प्रेशर’ का किस हद तक शिकार हो रही है। टीवी, फिल्मों और सोशल मीडिया पर दिखने वाले एडिटेड बॉडी इमेजेस उन्हें यह यकीन दिलाते हैं कि अगर वे स्लिम नहीं हैं, तो वे सुंदर नहीं हैं।
यही सोच उन्हें ऐसे अनुचित और खतरनाक फैसले लेने पर मजबूर करती है। इस सोच को बदलने की जिम्मेदारी समाज, अभिभावकों, और मीडिया की भी है।