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आजकल लगभग हर हिंदू परिवार में भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर देखने को मिलती है। इसके अलावा, कई लोग अपने घर में शिवलिंग भी स्थापित करते हैं। लेकिन नटराज की मूर्ति को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे घर में रखना शुभ मानते हैं तो कुछ इसे अशुभ बताते हैं। विशेष रूप से धार्मिक और वास्तुशास्त्रीय दृष्टिकोण से नटराज की मूर्ति को घर में स्थापित करने के विषय में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं कि आखिर नटराज की मूर्ति को घर में रखने से क्यों मना किया जाता है।

नटराज की मूर्ति: विनाश का रूप और क्रोध का प्रतीक

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नटराज भगवान शिव का वह रूप है जो तांडव नृत्य करते हुए दर्शाया जाता है। इस रूप में शिव ‘रौद्र’ यानी विनाशक स्वरूप में होते हैं। इसी वजह से नटराज की मूर्ति को क्रोध और विनाश का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इस मूर्ति को घर में रखना शुभ नहीं होता क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है।

परिवार पर प्रभाव: धन हानि और कलह

धार्मिक दृष्टि से नटराज की मूर्ति घर में रखने से परिवार की तरक्की रुक सकती है और व्यक्ति को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, वास्तुशास्त्र में भी कहा गया है कि घर में नटराज की मूर्ति रखने से परिवार में कलह और क्लेश बढ़ते हैं। घर का माहौल अशांत हो जाता है जिससे सदस्यों के बीच लड़ाई-झगड़े आम हो जाते हैं।

वास्तुशास्त्र की नज़र में नटराज की मूर्ति

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। नटराज की मूर्ति जो विनाशक स्वरूप की प्रतीक है, घर के वातावरण को अशांत कर सकती है। इससे न केवल घर के सदस्य मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं, बल्कि उनके स्वास्थ्य और समृद्धि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए वास्तु में इसका घर में स्थापित होना अशुभ माना जाता है।

नकारात्मक ऊर्जा और असुरक्षा की भावना

कुछ मान्यताओं के अनुसार, नटराज की मूर्ति घर में अशांति और नकारात्मक ऊर्जा लाने का कारण बन सकती है। इससे परिवार के लोगों के मन में असुरक्षा और भय की भावना उत्पन्न हो सकती है। यही कारण है कि कई लोग घर में नटराज की मूर्ति रखने से बचते हैं, ताकि घर की सकारात्मकता और सुरक्षा बनी रहे।