×

13 भाषाओं में बातचीत करते हैं इस स्कूल के बच्चे, जानिए कैसे किया ये कारनामा

 

क्या आप सोच सकते हैं कि किसी स्कूल के बच्चे एक नहीं दो नहीं, बल्कि 13 भाषाएं बोल सकते हैं? यह सुनकर शायद आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन यह पूरी तरह से सच है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के मरौरी ब्लॉक के एक उच्च प्राथमिक स्कूल, कैंच के बच्चे यह असाधारण कारनामा कर रहे हैं। इन बच्चों ने ऐसी भाषाओं को सीख लिया है, जो ना केवल भारत के विभिन्न हिस्सों से संबंधित हैं, बल्कि वे आपस में इन भाषाओं में बातचीत भी करते हैं।

यह स्कूल तमिल, तेलुगु, मलयालम, संथाली, पंजाबी, मराठी, उर्दू, सिंधी जैसी भाषाओं में अभिवादन करता है और यह बच्चों की असाधारण क्षमता को दर्शाता है। बच्चों की यह उपलब्धि निश्चित ही सराहनीय है, और इसे देखते हुए उनके माता-पिता, स्कूल के प्रभारी और शिक्षकों ने इस प्रयास की बहुत सराहना की है। कैंच का यह विद्यालय 1800 बेसिक स्कूलों में से एकमात्र ऐसा विद्यालय है जो इस प्रकार की उपलब्धि प्राप्त कर सका है।

दरअसल, यह सफलता एक महत्वपूर्ण सरकारी पहल का परिणाम है। भारत सरकार ने स्कूली बच्चों में भाषा के माध्यम से "एक भारत श्रेष्ठ भारत" का भाव जागृत करने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया था, जिसे "भाषा संगम" कहा जाता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को विभिन्न भारतीय भाषाओं के प्रति जागरूक करना और उन्हें इन भाषाओं के बारे में सीखाना था। इसके तहत बच्चों को हर दिन एक नई भारतीय भाषा के बारे में सिखाया जाता था, जो देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाती हैं।

सरकार ने इस पहल को लागू करने के लिए सभी स्कूलों को निर्देश दिए थे, और इस कार्य को खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से अमल में लाया गया था। इसके बाद, स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को भी इस कार्यक्रम को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए गए थे। यह कार्यक्रम एक महीने तक चलने वाला था, और इसके बाद बच्चों की फोटो और वीडियो विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया था।

इस कार्यक्रम का अंत 21 दिसंबर को हुआ, और इस दौरान मरौरी ब्लॉक के उच्च प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक वैभव जैसवार ने अपनी कठिन मेहनत और लगन से बच्चों को 13 भाषाओं का आधारभूत ज्ञान कराया। उन्होंने बच्चों को सिर्फ भाषाओं से ही परिचित नहीं कराया, बल्कि उन्हें उन भाषाओं से संबंधित संस्कृति के बारे में भी बताया। वैभव जैसवार का यह प्रयास न केवल बच्चों के ज्ञान को बढ़ावा देने वाला था, बल्कि उन्होंने बच्चों को भारतीय भाषाओं के महत्व और विविधता के बारे में भी समझाया।

इस कार्यक्रम के समापन के मौके पर, बच्चों ने जिस राज्य की भाषा सीखी थी, उसी राज्य की पारंपरिक वेशभूषा धारण की थी। इस दौरान बच्चों ने न केवल उन भाषाओं में संवाद किया, बल्कि अपनी सांस्कृतिक समझ और कौशल का भी प्रदर्शन किया। बच्चों द्वारा दिखाए गए इस अद्वितीय प्रयास ने इस स्कूल को एक मॉडल स्कूल बना दिया, जहां एक ही समय में कई भाषाओं और संस्कृतियों का सम्मान किया जा रहा है।

कैंच के इस स्कूल के बच्चों का यह कारनामा न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक उदाहरण है, बल्कि यह एक प्रेरणा भी है, जो यह दर्शाता है कि यदि प्रयास सच्चे हों, तो बच्चों को किसी भी भाषा और संस्कृति को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती। इस पहल ने बच्चों को एक-दूसरे के प्रति सम्मान और समझ पैदा करने का मौका दिया, साथ ही भारतीय संस्कृति और भाषाओं के महत्व को भी बढ़ावा दिया।

इस प्रकार, मरौरी ब्लॉक के कैंच स्कूल के बच्चों की यह उपलब्धि न केवल उनकी मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह "भाषा संगम" कार्यक्रम की सफलता का भी प्रतीक है। यह घटना बताती है कि जब सरकार और शिक्षक मिलकर एक उद्देश्य के साथ काम करते हैं, तो परिणाम बहुत सकारात्मक होते हैं।