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इस शताब्दी में फट सकता है बड़ा ज्वालामुखी, बदल सकता है जलवायु चक्र

 

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के खतरों से आगाह करती है। जिसमें कहा जाता है कि इस सदी के अंत तक एक बड़ा ज्वालामुखी फट जाएगा। विस्फोट एक से तीन वर्षों में विश्व स्तर पर पृथ्वी की सतह के तापमान को कम कर सकता है। साथ ही यह वैश्विक मानसून को प्रभावित करेगा और जलवायु को प्रभावित करने वाले कई कारकों को बदलेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस तरह का विस्फोट होता है तो यह मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए अस्थायी रूप से जिम्मेदार होगा। इस प्रकार के ज्वालामुखी में राख और धुआं अधिक होता है। जिससे वातावरण ठंडा रहता है।रिपोर्ट के मुताबिक हर 400 साल में तीन बार एक और ज्वालामुखी आता है।

तनवा और समालस ज्वालामुखियों की ऊंचाई 14,100 फीट से गिरकर 10,000 फीट हो गई। ज्वालामुखी की राख और धुएँ ने उत्तरी गोलार्द्ध को घेर लिया जिसके कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी और सतह पर ठीक से नहीं पहुँच पाया और सामान्य तापमान में 3 डिग्री की गिरावट आई। 1816 को ग्रीष्म विहीन वर्ष कहा जाता है। सीएसई डीजी सुनीता नारायण का कहना है। आईपीसीसी की वह रिपोर्ट कहती है कि अब खतरा करीब है.कोरोना की वजह से यह जंग और मुश्किल हो गई है. ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी बढ़ेगा क्योंकि सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं सामान्य दिशा में आगे बढ़ रही हैं।