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भानगढ़ किला या भूतों का बसेरा? 3 मिनट के वीडियो में देखिये वो डरावनी हकीकत जिसे सुनकर अच्छे-अच्छों के उड़ जाते हैं होश

 

जब भी भूतहा जगहों यानी भारत की भूतहा जगहों की बात होती है तो एक नाम सबसे पहले जरूर लिया जाता है और वो है भानगढ़। ऐसा माना जाता है कि भानगढ़ किला भारत की सबसे भूतहा जगहों में से एक है और यहां आने से लोग डरते हैं और कई लोग तो इसी डर की वजह से आते भी नहीं हैं। ये तो दिन की बात है, रात में तो यहां पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) भी जाने पर रोक लगा देता है और इसी वजह से शाम 6 बजे के बाद यहां जाना मना है।लेकिन, लोगों की दिलचस्पी ये जानने में रहती है कि आखिर भानगढ़ में ऐसा क्या है कि लोग वहां जाने से क्यों डरते हैं और इसके पीछे क्या कहानियां हैं। साथ ही, लोग वहां के नजारों, वहां का माहौल और वहां क्या-क्या बना हुआ है, इसके बारे में भी जानना चाहते हैं। तो आज हम आपको बताते हैं कि भानगढ़ में क्या खास है और इससे जुड़ी वो बातें, जिनके बारे में लोग जानना चाहते हैं…

<a href=https://youtube.com/embed/jIjhhrAJneA?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/jIjhhrAJneA/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Hanuted Story Of Bhangarh Fort Alwar | भानगढ़ किले का इतिहास, रहस्य, भूतिया कहानी, रात की रिकॉर्डिंग" width="695">
एक श्राप की वजह से है ये हाल

भानगढ़ राजस्थान के अलवर जिले में है। ये राजस्थान के दूसरे किलों की तरह ही दिखता है और बेहद खूबसूरत है। लेकिन, अब इसमें वो खूबसूरती नहीं रही और ये पूरी तरह से खंडहर बन चुका है। इस किले का निर्माण आमेर के राजा भगवंत दास ने 1583 में करवाया था और इस किले का संबंध जयपुर के आमेर किले से भी है। कहा जाता है कि पहले यह भी दूसरे किलों की तरह बेहद खूबसूरत था, लेकिन बाद में एक श्राप के कारण ऐसा हो गया।

ये है उस श्राप की कहानी, जिसकी वजह से लोग यहां जाने से डरते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि भानगढ़ के बारे में क्या कहानी है। वैसे तो भानगढ़ को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा रानी रत्नावती और श्राप की कहानी की होती है। कहा जाता है कि यहां एक राजकुमारी थी, जिसका नाम रत्नावती था। रत्नावती अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर थी और उसकी खूबसूरती के चर्चे काफी प्रचलित थे। हर कोई उससे शादी करना चाहता था और किले का एक तांत्रिक भी उन्हीं प्रेमियों में से एक था।

इत्र से वशीकरण करने का सोचा
लेकिन, तांत्रिक ने रत्नावती को अपने तंत्र से वश में करने का सोचा। कहा जाता है कि रत्नावती एक बार इत्र खरीद रही थी और कई लोग कहते हैं कि रत्नावती की दासियां ​​उसके लिए इत्र खरीद रही थीं। फिर उस तांत्रिक ने तंत्र विद्या के माध्यम से राजकुमारी के इत्र को मंत्रमुग्ध कर दिया और जब यह इत्र राजकुमारी के पास पहुंचा तो उसने इस इत्र पर किए गए जादू को पहचान लिया। तब रानी ने इस इत्र को लगाने के बजाय फेंक दिया और फिर जिस पत्थर पर यह इत्र गिरा उससे तांत्रिक घायल हो गया।

लोग कहते हैं कि मरते समय उस तांत्रिक ने श्राप दिया कि अब यह भानगढ़ नष्ट हो जाएगा। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि राजकुमारी ने गुस्से में यह श्राप दिया था। फिर कुछ दिनों के बाद भानगढ़ का बहुत ही अजीब तरीके से विनाश हुआ। श्राप में कहा गया था कि यहां के लोग मर जाएंगे और दोबारा जन्म नहीं लेंगे और आत्मा यहां भटकती रहेगी और उसके बाद आत्मा यहीं भटक रही है। इस वजह से जो भी यहां रात में रुकता है, वह परेशान रहता है।

अब ऐसा कहा जाता है कि यहां महिलाओं के चीखने और रोने की आवाज सुनाई देती है। अब यह कहना मुश्किल है कि यह कहानी कितनी सच है, लेकिन स्थानीय लोग अक्सर कहते हैं कि किले के पास से महिलाओं के चीखने और रोने की आवाज सुनाई देती है। कुछ लोग कहते हैं कि अगर कोई यहां जाता है तो कोई उसे मारने की कोशिश करता है और इस बारे में कई कहानियां हैं। इसी कारण से शाम के समय भानगढ़ किले में जाना वर्जित है।

फिर भी लोग क्यों नहीं जाते?
यहां जाने पर लोग बताते हैं कि जब भी कोई यहां रात में रुकता है तो एक-दो दिन में ही उसकी मौत हो जाती है या फिर उसकी असामयिक मौत हो जाती है। जैसे कई लोग दुर्घटनाओं में मर जाते हैं। इसलिए इन प्रचलित कहानियों के कारण लोग यहां रात में नहीं रुकते और सूर्यास्त से पहले ही यहां से चले जाते हैं।

भानगढ़ से जुड़ी खास बातें
इस किले में प्राचीन द्वार, बाजार, हवेलियां, मंदिर, महल, छतरियां, मकबरे आदि हैं और किले में प्रवेश के लिए पांच दरवाजे हैं। यहां कई मंदिर भी हैं, जिनमें गोपीनाथ, सोमेश्वर, मंगला देवी और केशव राय मंदिर शामिल हैं जो नागर शैली में बने हैं। इसके अलावा पूरी बस्ती एक के बाद एक तीन दीवारों से सुरक्षित है। बाहरी दीवार में प्रवेश के लिए पांच द्वार हैं, जिन्हें उत्तर से दक्षिण की ओर क्रमश: अजमेरी, लाहौरी, हनुमान, फूल बाड़ी और दिल्ली द्वार के नाम से जाना जाता है। लेकिन अब वहां बने घरों में छत नहीं है और सिर्फ दीवारें ही बची हैं।