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आखिर क्यों भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है केतकी का फूल? रामायण से जुड़ा है कनेक्शन

 

जिस प्रकार भगवान शिव को तुलसी अर्पित करना वर्जित है, उसी प्रकार शिवलिंग पर पुष्प अर्पित करना भी वर्जित माना गया है। भगवान शिव को यह पुष्प क्यों नहीं चढ़ाया जाता, इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है। आइए जानें।

धार्मिक मान्यता है कि केतकी का पुष्प भगवान शिव को इसलिए नहीं चढ़ाया जाता, क्योंकि केतकी के पुष्प ने भगवान ब्रह्मा के पक्ष में उनसे झूठ बोला था, जिसके कारण भगवान शिव ने उन्हें श्राप दिया था कि उनकी पूजा में इसका प्रयोग कभी नहीं होगा। आइए इसकी कथा विस्तार से जानते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा एक ज्योतिर्लिंग के आदि और अंत की खोज कर रहे थे। अनेक प्रयासों के बाद भी जब वह ज्योतिर्लिंग पुनः नहीं मिला, तो ब्रह्मा जी ने केतकी से पुष्प से झूठ बोलने को कहा।

ब्रह्मा जी ने केतकी के पुष्प से कहा कि वह भगवान शिव और विष्णु जी के सामने कहे कि मैंने ज्योतिर्लिंग का अंत पा लिया है। ऐसे में ब्रह्मा जी के कहने पर केतकी के पुष्प ने उनका साथ दिया और भोलेनाथ से झूठ बोला।

जब भगवान शिव को यह बात पता चली, तो वे क्रोधित हो गए और क्रोध में ब्रह्मा का एक सिर काट दिया। साथ ही, केतकी के फूल को श्राप दिया कि वह उनकी पूजा में कभी इस्तेमाल नहीं होगा।

इसी कारण से भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूल का उपयोग नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शिवलिंग पर फूल चढ़ाने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं और अपनी कृपा नहीं बरसाते हैं।