आखिर किसने रखा था पहला सावन सोमवार का व्रत? यहां जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
सावन सोमवार शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। प्राचीन परंपरा के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन चंद्रमा के श्राप से मुक्ति की कथाएँ प्रचलित हैं। शिव भक्तों के लिए सावन सोमवार का विशेष महत्व है। सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। वेद पुराण भी इसकी पुष्टि करते हैं। प्राचीन काल से ही लोग इस दिन शिव की पूजा करते आ रहे हैं। आखिर सोमवार को शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। तो आइए जानते हैं इस दिन का महत्व।
सावन सोमवार का महत्व
दरअसल, सोमवार को रखे जाने वाले व्रत को सोमेश्वर कहा जाता है। सोमेश्वर व्रत के नाम से प्रसिद्ध सोमवार के व्रत का अपना धार्मिक महत्व है। सोमेश्वर के दो अर्थ हैं। पहला अर्थ है चंद्रमा और दूसरा अर्थ है ईश्वर, वह ईश्वर जिन्हें सोमदेव भी अपना ईश्वर अर्थात शिव मानते हैं। महादेव को देवों के देव भी कहा जाता है।
सोमवार को ही चंद्रमा श्राप मुक्त हुए थे
शास्त्रों के अनुसार, भगवान चंद्रमा भी इसी दिन भगवान शिव की पूजा करते थे। सावन के सोमवार को ही श्राप के प्रभाव से कुष्ठ रोग से ग्रस्त चंद्र देव ने भगवान शिव की पूजा और व्रत किया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने चंद्रमा को श्राप से मुक्त कर दिया था।
सोमवार को शिव की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
श्राप से मुक्त होकर चंद्र देव ने पुनः अपना सौंदर्य प्राप्त किया और स्वस्थ हो गए। इतना ही नहीं, चंद्रमा की पूजा से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर लिया। तभी से यह मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति निरोगी होता है। तभी से सोमवार को शिव-शंकर की पूजा का विशेष महत्व है।
महादेव की भक्ति से चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं।
यह दिन शिव भक्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। मान्यता तो यही है। इस दिन महादेव की भक्ति से चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं। सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ॐ सोम में भी वास करता है।
सोम का एक अर्थ सौम्य भी होता है। शंकर जी को शांत देवता कहा जाता है। इसीलिए सोमवार को उनका दिन माना जाता है। शिव को उनकी सहजता और सरलता के कारण भोलेनाथ भी कहा जाता है। ॐ का भी वास है, सोम है और भोलेनाथ स्वयं ॐ स्वरूप हैं। यही कारण है कि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है।