इस द्वीप पर स्थित है तीन हजार साल पुराना लौंग का पेड़, देखने के लिए रोजाना आते हैं हजारों लोग
लौंग एक ऐसा मसाला है, जो भारत समेत दुनिया के हर कोने की रसोई में अपनी खास जगह बनाए हुए है। यह न केवल खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहद लाभकारी माना जाता है। दांतों के दर्द से लेकर गले की खराश और पेट दर्द तक में लौंग रामबाण की तरह काम करता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इस छोटी-सी लेकिन ताकतवर लौंग का इतिहास क्या है? आइए आज आपको लौंग से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताते हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही कभी सुना हो।
3000 साल पुराना है लौंग का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि लौंग का इतिहास आज से करीब 3000 साल पुराना है। उस दौर में पूर्वी एशिया के कुछ द्वीप, खासतौर पर इंडोनेशिया के टर्नेट, टिडोर और आसपास के इलाकों में ही लौंग के पेड़ पाए जाते थे। इन इलाकों में रहने वाले लोग प्राकृतिक रूप से मिलने वाले इस बहुमूल्य मसाले का भरपूर लाभ उठाते थे।
चूंकि लौंग केवल इन्हीं कुछ खास द्वीपों पर उगती थी, इसलिए इसका व्यापार बहुत ही सीमित और अनमोल था। टर्नेट और टिडोर के स्थानीय सुल्तान इस व्यापार से भारी मुनाफा कमाते थे और उनकी समृद्धि के पीछे लौंग की अहम भूमिका थी।
टर्नेट द्वीप और सबसे पुराना लौंग का पेड़
दुनिया का सबसे पुराना लौंग का पेड़ भी इंडोनेशिया के टर्नेट द्वीप पर मौजूद है। टर्नेट एक बेहद खूबसूरत द्वीप है, जो ज्वालामुखियों से घिरा हुआ है। इसके बावजूद यह द्वीप पर्यटकों और वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
टर्नेट पर केवल लौंग ही नहीं, बल्कि कई अनोखे जीव-जंतु भी पाए जाते हैं। यहां उड़ने वाले मेंढक जैसी विचित्र प्रजातियां भी मौजूद हैं, जो दुनिया में बहुत कम देखी जाती हैं।
अंग्रेज वैज्ञानिक अल्फ्रेड रसेल वॉलेस की खोज
टर्नेट और आसपास के द्वीपों की जैव विविधता ने उन्नीसवीं सदी में प्रसिद्ध अंग्रेज वैज्ञानिक अल्फ्रेड रसेल वॉलेस को भी आकर्षित किया। वॉलेस ने नई नस्लों की खोज के लिए इन द्वीपों की यात्रा की और कई सालों तक वहां रहकर शोध किया।
वॉलेस जब लंदन लौटे, तो उनके पास करीब 1,25,000 से भी ज्यादा जीव-जंतुओं के नमूने थे। उनके इस शोध कार्य ने जैविक विकास के सिद्धांत को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
लौंग के व्यापार ने बदली इतिहास की दिशा
लौंग का व्यापार टर्नेट और टिडोर के सुल्तानों के लिए इतना फायदेमंद साबित हुआ कि उनके पास अथाह धन-संपत्ति जमा हो गई। इससे उनमें आपसी प्रतिस्पर्धा और सत्ता संघर्ष शुरू हो गया।
इन सुल्तानों के बीच बढ़ते झगड़े का फायदा अंग्रेजों और डच कारोबारियों ने उठाया। दोनों शक्तिशाली यूरोपीय देशों ने टर्नेट और टिडोर के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया और लौंग के व्यापार पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।
इस तरह लौंग न केवल स्वाद और सेहत का मसाला बना, बल्कि यह कई ऐतिहासिक राजनीतिक घटनाओं का भी प्रमुख कारण रहा।
लौंग का आज का महत्व
आज लौंग सिर्फ एशिया तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में इसका व्यापक उपयोग होता है। भारत में लौंग हर घर की रसोई का हिस्सा है। दांत दर्द में राहत देने के लिए लौंग का तेल लगाया जाता है। गले की खराश में लौंग चबाना बेहद फायदेमंद होता है।
इसके अलावा लौंग का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में, मसालेदार चाय बनाने में, बिरयानी जैसे व्यंजनों में और त्योहारों पर बनने वाली मिठाइयों में बड़े पैमाने पर होता है। इसकी गर्म तासीर के कारण सर्दियों में लौंग का सेवन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
निष्कर्ष
छोटी-सी दिखने वाली लौंग अपने भीतर हजारों साल का इतिहास, व्यापार की कहानियां और स्वास्थ्य लाभ समेटे हुए है। टर्नेट और टिडोर जैसे छोटे द्वीपों से निकली यह खुशबूदार कलियां आज दुनिया भर में स्वाद और सेहत दोनों का अनमोल खजाना बन चुकी हैं।
जब भी अगली बार आप खाने में लौंग का स्वाद चखें या इसे किसी घरेलू इलाज में इस्तेमाल करें, तो इसके अद्भुत इतिहास को जरूर याद करें। यह नन्हा-सा मसाला इतिहास के कई बड़े अध्यायों का गवाह रहा है।