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अनोखा मंदिर: हिंदू मुस्लिम एकता का हैं प्रतीक, जानें इस मंदिर के बारे में !

 

नागौर के बूढ़ी गांव में केसरियान कंवरजी का मंदिर है। जानकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1200 ईस्वी के आसपास हुआ था। लोककथाओं के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो यहां के पुजारी उसके मुंह से सांप का जहर चूस लेते हैं।

कौन हैं केसरियान कंवरजी?

केसरियान कंवर राजस्थान के एक लोक देवता हैं, जो गोगाजी के पुत्र हैं। उन्हें नागों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है, जिन्हें नागों के देवता के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें घोड़ा बाबा भी कहा जाता है।

मंदिर के पुजारी भंवरसिंह रावण राजपूत ने बताया कि उन्होंने यहां कई चमत्कार देखे हैं। बहुत समय पहले की बात है, एक बार रात में उन्हें सपने में गोगाजी महाराज की छवि दिखाई दी। इसके अलावा गांव के कुंभाराम जाट की बेटी को एक बार सांप ने काट लिया था और जब उसे मंदिर में लाया गया तो मंदिर के पुजारी ने उसके शरीर से जहर चूस लिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने यहां कई चमत्कार देखे हैं.तंत्र मंत्र से ऐसे निकाला जाता है जहर

बूढ़ी गांव नागौर जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गांव में सांप के काटने पर मरीज को अस्पताल ले जाने के बजाय केसरिया कंवरजी मंदिर ले जाया जाता है। जहां पुजारी पीड़ित के शरीर से जहर निकालने के लिए जोत और तंत्रमंत्र आदि करता है और फिर उसे मुंह से चूसकर जहर निकाला जाता है। पुजारी भंवरसिंह का कहना है कि जहर निकालते समय शरीर में जहर का कोई असर नहीं होता।

यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए भी प्रसिद्ध है

देश भर में ऐसे कई धार्मिक स्थान हैं जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग एक साथ पूजा करते हैं। राजस्थान में ही चतुरदास मंदिर, बुटाटी धाम, रामदेवरा मंदिर, पोकरण जैसलमेर है। इसके साथ ही नागौर में केसरिया कंवर का एक छोटा सा मंदिर है। जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समाज की एकता की मिसाल पेश करता है।