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परियों का देश देखा है…आप भी पहुंच सकते हैं यहां, जानिए कैसे

 

हमारे देश में हर बच्चे की कल्पनाओं में एक खास जगह होती है—परियों का देश, जहां हरियाली, झरने, रंग-बिरंगी रोशनी और उड़ती हुई सुंदर परियां होती हैं। ये कहानियां जब दादी-नानी की जुबां से सुनते थे, तो लगता था काश हम भी उस जगह जा पाते! लेकिन क्या हो अगर हम कहें कि ये सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि वास्तव में धरती पर एक जगह ऐसी मौजूद है, जिसे लोग “परियों का देश” कहते हैं? जी हां, उत्तराखंड की गोद में बसा खैत पर्वत ठीक ऐसा ही अनुभव देता है।

 कहां है यह ‘परियों का देश’?

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता। यहां की वादियां, पर्वत, नदियां और जंगल हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इन्हीं वादियों में छिपा है खैत पर्वत, जो अल्मोड़ा जिले के पास स्थित है। यह स्थान न केवल प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर है, बल्कि इसके साथ जुड़ी लोककथाएं और रहस्य इसे और खास बनाते हैं।

 परियों की लोककथा

स्थानीय लोगों के अनुसार, खैत पर्वत को ‘आछरियों का स्थान’ माना जाता है। ‘आछरियां’ यानी परियां। एक मशहूर लोककथा के अनुसार, जीतू बगड़वाल नाम का एक युवक बहुत सुंदर बांसुरी बजाता था। उसकी बांसुरी की मधुर धुन पर परियां आकर्षित हो गईं और उसे अपने साथ इस पर्वत पर ले गईं। तब से इस पहाड़ को ‘परियों का देश’ कहा जाने लगा।

कहते हैं कि पूर्णिमा की रातों में परियां यहां दिखाई देती हैं, और पहाड़ी फूलों की खुशबू से पूरा वातावरण रहस्यमयी हो जाता है।

रहस्य और नियम

खैत पर्वत के साथ कई रहस्य और परंपराएं भी जुड़ी हैं। यहां आने वाले लोगों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है:

  • तेज आवाज़ न करें: ऐसा कहा जाता है कि ज्यादा शोर करने पर परियां नाराज़ हो जाती हैं।

  • चमकीले कपड़े पहनने से बचें: इससे भी परियां अप्रसन्न हो सकती हैं।

  • यहां से फूल न तोड़ें: माना जाता है कि यहां से तोड़े गए फूल कुछ ही देर में मुरझा जाते हैं।

  • यहां पर प्राकृतिक रूप से लहसुन और अखरोट भी उगते हैं, जो इस स्थान की अलग जैविक विविधता को दर्शाते हैं।

 खैटखाल मंदिर – आस्था और रहस्य का संगम

खैत पर्वत से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर खैटखाल मंदिर स्थित है। इसे परियों का मंदिर भी कहा जाता है। स्थानीय लोग इस मंदिर को रहस्यमयी शक्तियों का केंद्र मानते हैं और विशेष अवसरों पर यहां पूजा करने आते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां की पूजा से विशेष शांति और मनोकामना की पूर्ति होती है।

 कैसे पहुंचें परियों के देश?

खैत पर्वत तक पहुंचने के लिए आपको उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले तक आना होगा। यहां से खैत गांव की ओर सड़क मार्ग से यात्रा करनी होती है।

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन: काठगोदाम

  • नजदीकी हवाई अड्डा: पंतनगर एयरपोर्ट

  • सड़क मार्ग: दिल्ली से अल्मोड़ा तक नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।
    अल्मोड़ा से खैत गांव तक लगभग 40 किलोमीटर का सफर है, जिसे निजी गाड़ी से तय किया जा सकता है। वहां से कुछ दूरी पैदल ट्रेकिंग द्वारा तय करनी होती है।

 क्या करें यहां?

  • ट्रेकिंग और कैम्पिंग का मजा लें

  • लोककथाएं सुनें और स्थानीय लोगों से बातचीत करें

  • पहाड़ी व्यंजन और स्थानीय संस्कृति का अनुभव लें

  • खैटखाल मंदिर में ध्यान और पूजा करें