इस वीकेंड आप भी जरूर करें दिल्ली के कालकाजी मंदिर के दर्शन, मकर संक्राति पर लगती है भक्तों की भीड़
राजधानी दिल्ली में यूं तो कई प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन उनमें से एक है कालकाजी मंदिर। जिसके बारे में शायद आप सभी ने सुना होगा और देखा भी होगा. इस मंदिर में रोजाना भक्तों की लंबी कतार देखने को मिलती है। नवरात्रि के दिनों में यहां दर्शन करने वालों की भीड़ लगी रहती है। यह दिल्ली के कालकाजी इलाके में स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से देवी कालका मां से कुछ भी मांगता है। उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। वहीं इस मंदिर से और भी कई दिलचस्प कहानियां और हजारों साल का इतिहास जुड़ा हुआ है।
मान्यता है कि यहां मां के स्वरूप का परिवर्तन कई बार देखा गया है। यह एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर माता आदिशक्ति 'महाकाली' के रूप में प्रकट हुई थीं। जिसके बाद उन्होंने असुरों का संहार किया। तभी से इसे सिद्धपीठ के रूप में पूजा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बाबा बालकनाथ ने की थी। जबकि इसका जीर्णोद्धार मुगल साम्राज्य के सरदार अकबर शाह ने करवाया था। आज इस मंदिर में देवी शक्ति दुर्गा की पूजा कालका मां के रूप में की जाती है। आज यह देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठों में से एक है।
इस प्राचीन मंदिर का इतिहास 3000 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। यानी इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान कौरवों और पांडवों ने इस मंदिर में आकर देवी काली के दर्शन किये थे। यूं तो यह मंदिर भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक अहम हिस्सा है। यह मंदिर कई बार बना और नष्ट हुआ है। कहा जाता है कि इसका एक हिस्सा सबसे पहले 1764 ई. के आसपास बनाया गया । कहा जाता है कि मंदिर की वर्तमान संरचना 18वीं और 19वीं शताब्दी में बनाई गई थी।
ऐसा माना जाता है कि यहां नवरात्रि के दौरान मेला लगता है। इस दौरान होने वाली अष्टमी और नवमी के दौरान माता यहां विचरण करती हैं।कहा जाता है कि अष्टमी के दिन सुबह की आरती के बाद मंदिर के दरवाजे खोल दिए जाते हैं.और उस दिन शाम को और अगले पूरे दिन कोई आरती नहीं होती और फिर दसवें दिन मंदिर की आरती की जाती है।आमतौर पर मंदिर ग्रण काल के दौरान ही बंद रहते हैं, लेकिन कालकाजी उन मंदिरों में से एक है जो सूर्य ग्रहण के दौरान खुले रहते हैं।इस दौरान भक्तों को अंदर जाकर पूजा करने की भी अनुमति है।
इस मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा साधन मेट्रो है। यह मंदिर दिल्ली मेट्रो की वॉयलेट लाइन पर पड़ता है। मेट्रो स्टेशन का नाम भी कालकाजी है। यहां आप नीचे उतरकर मंदिर के चारों ओर आसानी से घूम सकते हैं। इसके अलावा आप सड़क मार्ग से अपनी निजी कार, बस, टैक्सी, बाइक और स्कूटी से भी पहुंच सकते हैं। आप ई-रिक्शा से भी मंदिर जा सकते हैं। मंदिर के दर्शन के बाद आप आसपास के स्थानों जैसे नेहरू प्लेस, ओखला पक्षी अभयारण्य, लॉट्स टेम्पल और इंडिया गेट का दौरा कर सकते हैं।