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माइनस 41 डिग्री तापमान में योगा करती इन लड़कियों के बारे में जानकर दंग रह जाएंगे आप

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दुनियाभर में योग की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। भारत की इस प्राचीन विद्या ने आज वैश्विक स्तर पर लोगों की जीवनशैली को बदल दिया है। योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं बल्कि स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और आत्मिक शांति का साधन बन चुका है। परंतु रूस की दो युवतियों ने जो किया, उसने योग की दीवानगी को एक अलग ही स्तर पर पहुंचा दिया है।

ये वाकया है रूस के साइबेरिया का, जहां दो युवतियों ने कड़ाके की ठंड में योग कर दुनियाभर को चौंका दिया है। सोशल मीडिया पर इन युवतियों का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे माइनस 41 डिग्री सेल्सियस के तापमान में खुले आसमान के नीचे योग करती नजर आ रही हैं।

कड़ाके की ठंड, लेकिन हौसला जबरदस्त

साइबेरिया को दुनिया के सबसे ठंडे इलाकों में गिना जाता है। यहां सर्दियों के दौरान तापमान इतना गिर जाता है कि पानी पलभर में बर्फ बन जाता है और इंसान का खून तक जम सकता है। लेकिन टाइंडा शहर की रहने वाली यूलिया और एकाटेरिना नाम की इन दो युवतियों ने इस कठोर ठंड में योग करके न सिर्फ खुद को स्वस्थ रखने का संदेश दिया, बल्कि पूरी दुनिया को यह दिखा दिया कि योग के लिए कोई मौसम या परिस्थिति मायने नहीं रखती।

योग से ही जीवन है संभव

वायरल हो रहे इस वीडियो में यूलिया और एकाटेरिना चक्रासन और सूर्य नमस्कार जैसी योग मुद्राएं करती दिखाई दे रही हैं। इनकी शरीर की लचक और संतुलन देखकर किसी को भी यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा कि ये योगासन सामान्य तापमान में नहीं बल्कि बर्फ के बीच -41 डिग्री सेल्सियस में किए जा रहे हैं।

दुनियाभर में मिली तारीफ

सोशल मीडिया पर इस वीडियो के सामने आने के बाद दुनियाभर से लोगों ने इन दोनों युवतियों की तारीफों के पुल बांध दिए हैं। कोई उन्हें आयरन वुमन बता रहा है तो कोई उन्हें योगा क्वीन कह रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इस बात से प्रभावित हैं कि कैसे इन युवतियों ने ठंड में शरीर और मन का ऐसा संतुलन बनाए रखा।

क्या कहती हैं ये योगिनी?

इस उपलब्धि पर एकाटेरिना का कहना है – “मुझे नहीं लगता कि दुनिया को मेरे इस कारनामे से चौंकना चाहिए। यह हमारे लिए सामान्य है। हम बचपन से ऐसी ठंड के बीच रहते आए हैं।” वहीं यूलिया कहती हैं – “हमें बर्फ और ठंडी हवा की आदत है। योग हमारे शरीर को गर्म रखता है और हमें मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है।”

योग की ताकत का संदेश

इन युवतियों की यह पहल इस बात का प्रतीक है कि योग केवल शारीरिक कसरत नहीं है, बल्कि यह मानसिक दृढ़ता, आत्मविश्वास और अनुशासन का मार्ग है। जब कोई इंसान माइनस 41 डिग्री जैसी जानलेवा ठंड में भी शांति से योग कर सकता है, तो यह दिखाता है कि योग के माध्यम से इंसान अपने शरीर और मन दोनों पर नियंत्रण पा सकता है।

भारत से निकला, दुनिया ने अपनाया

योग भारत की प्राचीन परंपरा का हिस्सा है, जिसे अब पूरे विश्व ने अपनाया है। हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। दुनिया के कोने-कोने में लोग योग शिविरों में हिस्सा लेते हैं, लेकिन साइबेरिया की इन दो युवतियों ने साबित कर दिया कि योग सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि जीवनशैली है।

 निष्कर्ष

जहां एक ओर लोग सर्दियों में रजाई से बाहर निकलने से कतराते हैं, वहीं यूलिया और एकाटेरिना जैसी युवतियां हमें सिखाती हैं कि अगर इरादे मजबूत हों और योग को जीवन में शामिल कर लिया जाए, तो कोई भी परिस्थिति हमें रोक नहीं सकती। इन युवतियों ने न सिर्फ रूस को, बल्कि पूरे विश्व को यह संदेश दिया है कि "योग से ही जीवन संभव है।

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