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दुनिया की सबसे मोटी महिला का वजन 242 किलो तक हुआ कम

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दुनिया की सबसे भारी महिला मानी जाने वाली मिस्र की इमान अहमद अब लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन गई हैं। इमान, जो कभी 500 किलो वजन के साथ चलने-फिरने में असमर्थ थीं, अब मुंबई में सर्जरी और इलाज के बाद 242 किलो वजन घटा चुकी हैं। यह न केवल चिकित्सा की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही इलाज से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

मुंबई के सैफी अस्पताल में हुआ इलाज

इमान अहमद मिस्र के अलेक्जेंड्रिया की रहने वाली हैं। जब वे मुंबई इलाज के लिए पहुंचीं, तब उनका वजन करीब 500 किलो था। इस वजह से वे कई वर्षों से अपने घर में कैद जीवन जी रही थीं। मुंबई के सैफी अस्पताल में डॉक्टर मुफी लकड़ावाला और उनकी टीम ने इमान का इलाज शुरू किया। टीम में बारीकी से योजना बनाकर उनकी हालत को स्थिर किया गया और फिर धीरे-धीरे वजन घटाने की प्रक्रिया शुरू की गई।

डॉक्टरों के मुताबिक, इमान को एलिफेंटाइसिस नामक दुर्लभ बीमारी थी, जिसकी वजह से उनके शरीर में अत्यधिक सूजन और वजन बढ़ गया था। इस बीमारी के कारण उनकी दैनिक गतिविधियां पूरी तरह बंद हो गई थीं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मदद से हुआ भारत में इलाज संभव

इमान को भारत लाना अपने आप में एक चुनौती था। इतनी भारी महिला को आम फ्लाइट से लाना संभव नहीं था, और कोई एयरलाइंस इस बात के लिए तैयार भी नहीं थी। ऐसे में डॉक्टर मुफी लकड़ावाला ने ट्विटर पर भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाई। सुषमा स्वराज की तत्परता और मानवीय पहल से इमान को मेडिकल वीजा मिला और उन्हें विशेष एयर एंबुलेंस के ज़रिए मुंबई लाया गया।

इमान को अस्पताल पहुंचाने के लिए विशेष क्रेन का उपयोग किया गया था, क्योंकि वह स्वयं चलने या बैठने में भी असमर्थ थीं।

7 मार्च को हुई थी सर्जरी

सैफी अस्पताल में 7 मार्च को इमान की लैप्रोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी नामक सर्जरी की गई। यह एक विशेष प्रकार की बेरियाट्रिक सर्जरी है, जिसमें पेट का आकार लगभग 75 प्रतिशत तक छोटा कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए इमान के भोजन की मात्रा को सीमित किया गया, जिससे उनके वजन में तेजी से कमी आने लगी।

सर्जरी करने वाली डॉक्टर अपर्णा भास्कर ने बताया कि जब इमान भारत आई थीं, तब वे ना सिर्फ चलने, बल्कि बैठने के भी लायक नहीं थीं। लगातार दो महीने की मेडिकल निगरानी, पोषण सुधार और फिजिकल थेरेपी से उनके स्वास्थ्य में बड़ा सुधार देखने को मिला।

फिलहाल अस्पताल में निगरानी में हैं इमान

वजन कम होने के बावजूद इमान को फिलहाल अस्पताल से छुट्टी नहीं दी गई है। डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक बिस्तर पर रहने के कारण उनके पैरों की मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हैं। उनका पुनर्वास कार्यक्रम जारी है और उन्हें चलने-फिरने लायक बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। माना जा रहा है कि कम से कम एक और महीने तक उन्हें चिकित्सकीय देखरेख में रखा जाएगा।

लाखों लोगों के लिए बनीं प्रेरणा

इमान अहमद का यह मामला सिर्फ एक मेडिकल केस नहीं, बल्कि इंसानी जिजीविषा और आधुनिक चिकित्सा की ताकत का उदाहरण है। जिन लोगों ने अपने स्वास्थ्य को लेकर उम्मीद छोड़ दी है, उनके लिए इमान की कहानी एक प्रेरणादायक संदेश है कि सही समय पर इलाज और इच्छाशक्ति हो तो जीवन में बड़ा बदलाव संभव है।

इमान की यात्रा यह भी दिखाती है कि इंसानियत की भावना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जीवन बचाया जा सकता है। भारत ने न केवल एक विदेशी नागरिक की जान बचाई, बल्कि एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि चिकित्सा और मानवता की कोई सीमा नहीं होती।

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