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दुनिया के पहले 'मिसाइल मैन' की 97 लाख में नीलाम हुई तलवार, जानें क्या है इसमें खास

दुनिया के पहले 'मिसाइल मैन' की 97 लाख में नीलाम हुई तलवार, जानें क्या है इसमें खास

टीपू सुल्तान, जिसे "शेर ए मैसूर" के नाम से जाना जाता है, भारतीय इतिहास में एक महान योद्धा और कुशल शासक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका शासन, उनकी वीरता और उनके शौर्य को हमेशा याद किया जाएगा। वे न केवल एक सैनिक नेता थे, बल्कि एक विद्वान और तकनीकी दृष्टि से भी अत्यधिक उन्नत थे। उनकी नीतियों और कूटनीतिक दक्षता के कारण उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कड़ा मुकाबला किया। उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए सैन्य उपकरण और उनके व्यक्तित्व की खासियतें आज भी इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक दिलचस्प विषय हैं। हाल ही में उनकी कुछ बेशकीमती वस्तुएं नीलाम हुई हैं, जिनकी कीमत जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।

टीपू सुल्तान के शौर्य और योगदान

टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवम्बर 1751 को हुआ था। उनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान शूरवीरों में शामिल किया जाता है। वे मैसूर राज्य के शासक थे और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करते हुए बिताई। उनकी रणनीतियों और युद्ध कौशल को देखते हुए उन्हें "शेर ए मैसूर" की उपाधि दी गई थी। वे न केवल एक वीर योद्धा थे, बल्कि उन्होंने अपनी सत्ता को मजबूत करने के लिए कई तकनीकी नवाचार भी किए थे। इन्हीं नवाचारों में से एक था उनकी मिसाइल प्रणाली, जिसे आज "दुनिया का पहला मिसाइल मैन" कहा जाता है।

टीपू सुल्तान की कीमती वस्तुएं

हाल ही में, टीपू सुल्तान की बेशकीमती चीजों की एक नीलामी हुई है, जो बर्कशायर, इंग्लैंड में आयोजित की गई थी। इस नीलामी में उनकी तलवार, गन, सोने से बनी वस्तुएं, और अन्य अनमोल धरोहरों की बोली लगाई गई थी। इन वस्तुओं को लेकर इतिहासकारों, संग्रहकर्ताओं और भारतीय संस्कृति के प्रेमियों में गहरी रुचि थी, क्योंकि ये सभी वस्तुएं टीपू सुल्तान की वीरता और शाही जीवन का प्रतीक थीं।

नीलामी में टीपू सुल्तान की तलवार ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरीं। इस तलवार की कीमत 107,000 पाउंड (लगभग 97 लाख रुपये) में नीलाम हुई। यह तलवार टीपू सुल्तान की युद्ध कला का प्रतीक मानी जाती है और यह उनके नेतृत्व और शौर्य को दर्शाती है। इसके अलावा, टीपू सुल्तान की 'सिल्वर माउंटेड 2 बोर फ्लिंटलॉक गन और बेनट' पर भी कई बोलियां लगीं, और यह गन 60,000 पाउंड (लगभग 54,55,829 रुपये) में नीलाम हुई।

टीपू सुल्तान के इन बेशकीमती सामानों के बीच उनकी सोने से बनी तलवार और सस्पेंशन बेल्ट पर 58 बोलियां लगीं, और इन्हें 18,500 पाउंड (लगभग 16 लाख 83 हजार रुपये) में नीलाम किया गया। ये सभी वस्तुएं एक ऐतिहासिक महत्व रखती हैं, क्योंकि यह टीपू सुल्तान के शाही जीवन और उनके युद्धकौशल का हिस्सा थीं।

टीपू सुल्तान की धरोहरें कैसे आईं नीलामी में?

टीपू सुल्तान की ये कीमती धरोहरें एक विदेशी परिवार के घर की अटारी में रखी हुई पाई गई थीं। यह परिवार ब्रिटिश साम्राज्य के तहत कार्यरत था, और इनकी तिजोरी में पाई गई इन वस्तुओं का इतिहास बहुत ही दिलचस्प है। इन वस्तुओं का संबंध मेजर थॉमस हार्ट से है, जो एक ब्रिटिश सेना के अधिकारी थे और ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत कार्यरत थे।

मेजर थॉमस हार्ट ने 1798-99 में एंग्लो-मैसूर युद्ध के बाद टीपू सुल्तान की कुछ महत्वपूर्ण वस्तुओं को अपने घर ले आया था। यह वस्तुएं उनके परिवार में पीढ़ियों तक पड़ी रही और किसी को भी इनका महत्व पूरी तरह से नहीं पता चला। हाल ही में इन वस्तुओं का पता तब चला जब इन्हें एक विदेशी परिवार की अटारी से निकाला गया और इनकी पहचान की गई।

भारत की धरोहरों की वापसी की मांग

भारत में इन बेशकीमती वस्तुओं की नीलामी को लेकर कुछ विवाद भी उठे। भारतीय जनता और कई संगठनों ने इन वस्तुओं को भारत वापस लाने की मांग की। इन वस्तुओं को देखकर यह स्पष्ट होता है कि ये भारतीय संस्कृति और इतिहास का अहम हिस्सा हैं, और इनका भारत में होना भारतीय जनता के लिए गर्व की बात होगी।

हालांकि, नीलामी घर ने इन वस्तुओं को वापस करने से मना कर दिया, और कहा कि यह कानूनी तौर पर संभव नहीं है। उनका कहना था कि इन वस्तुओं के मालिक मेजर थॉमस हार्ट के परिवार को कानूनी रूप से नीलामी का पैसा मिलेगा, और वे इसका कुछ हिस्सा भारत के एक स्कूल को दान करेंगे। हालांकि, यह निर्णय भारतीय सरकार और भारतीय नागरिकों के लिए निराशाजनक था, जो इन वस्तुओं को अपने देश में वापस देखना चाहते थे।

नीलामी का महत्व और इतिहास

टीपू सुल्तान की इन वस्तुओं की नीलामी न केवल एक ऐतिहासिक घटना थी, बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति के संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम थी। इन वस्तुओं का मूल्य केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक था। ये वस्तुएं टीपू सुल्तान के युद्ध कौशल, उनके शाही जीवन और उनके शौर्य का प्रतीक थीं।

भारत में कई संगठन और इतिहासकार इन वस्तुओं को भारत लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके। हालांकि, नीलामी घर ने इन वस्तुओं को वापस करने से मना कर दिया, फिर भी इस नीलामी ने दुनियाभर में भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों के महत्व को एक बार फिर से उजागर किया।

निष्कर्ष

टीपू सुल्तान की तलवार, गन, और अन्य बेशकीमती वस्तुएं न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन का हिस्सा थीं, बल्कि ये भारतीय इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक भी थीं। इन वस्तुओं की नीलामी ने भारतीय जनता को यह याद दिलाया कि हमारी ऐतिहासिक धरोहरें कितनी महत्वपूर्ण हैं और उन्हें हमें संरक्षित करना चाहिए। इन वस्तुओं की वापसी की मांग और उनका सही स्थान भारत में होना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इन महान युद्ध नायकों की वीरता और उनके योगदान को सम्मान दे सकें। टीपू सुल्तान की यह धरोहरें न केवल एक समय की गवाह हैं, बल्कि हमारे संघर्ष और संस्कृति का प्रतीक भी हैं।

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