शॉर्ट स्कर्ट पहनने पर इस कंपनी में महिलाओं को मिल रहा है बोनस, माजरा जानकर रह जाएंगे हैरान
दुनिया भर में महिला अधिकारों को लेकर जहां जागरूकता बढ़ रही है, वहीं रूस की एक कंपनी के फैसले ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी है।
🧨 क्या है मामला?
रूस की एक एल्युमिनियम कंपनी 'टाटप्रूफ' ने जून महीने के लिए महिलाओं को एक अजीब स्कीम ऑफर की है। कंपनी ने "नारीत्व मैराथन अभियान" के तहत घोषणा की है कि जो महिला कर्मचारी ऑफिस में शॉर्ट स्कर्ट पहनकर आएंगी, उन्हें रोज़ाना 106 रुपये का बोनस मिलेगा।
📸 शर्तें भी हैं तगड़ी
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स्कर्ट या ड्रेस घुटने से 5 सेंटीमीटर ऊपर होनी चाहिए
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कर्मचारियों को फोटो भेजकर प्रूफ देना होगा
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ड्रेसिंग स्टाइल के ज़रिए "नारीत्व का सम्मान" बढ़ाने की बात कही जा रही है
😡 सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त विरोध हो रहा है। बहुत से लोग इसे सेक्सिस्ट और अपमानजनक बता रहे हैं।
एक यूज़र ने गुस्से में लिखा:
"ये महिलाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ है, और शक्ति का दुरुपयोग है।"
दूसरे ने कहा:
"क्या अब प्रोफेशनलिज़्म कपड़ों से तय होगा?"
🧏♀️ कंपनी का जवाब
कंपनी प्रवक्ता ने रूसी रेडियो स्टेशन 'गोविरिट' से बात करते हुए सफाई दी:
“हम महिलाओं को उनके नारीत्व को सेलिब्रेट करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह अभियान सेक्सिस्ट नहीं है।"
उन्होंने ये भी बताया कि अब तक 60 महिलाएं इस 'मैराथन' में भाग ले चुकी हैं।
🤔 यह पहल या पाखंड?
कई लोग इसे महिला सशक्तिकरण की आड़ में व्यक्तिगत आज़ादी पर हमला मान रहे हैं। आज जब वर्कप्लेस पर जेंडर इक्वैलिटी की बात हो रही है, तब ऐसे फैसले कई सवाल खड़े करते हैं:
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क्या कपड़े पहनने की शर्त पर बोनस देना ठीक है?
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क्या ये महिलाओं की योग्यता को सिर्फ उनके लुक से जोड़ने जैसा नहीं?
📌 निष्कर्ष:
रूसी कंपनी का यह 'नारीत्व मैराथन' अभियान लोगों को दो हिस्सों में बांट चुका है—एक पक्ष इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन मान रहा है, तो दूसरा पक्ष इसे 'स्टाइलिश पहल' बता रहा है।
पर एक बात तय है—महिलाओं की ड्रेस को बोनस से जोड़ना, आज के समय में बहस का मुद्दा बनना लाजमी है।