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शनि देव की आंखों में सीधा क्यों नहीं देखना चाहिए और जानें Shanidev से जुड़े हैरान कर देने वाले रहस्य

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भारतवर्ष में शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, जो कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। हिन्दू धर्म की मान्यताओं में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है, और इस दिन लाखों श्रद्धालु उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, तिल का तेल चढ़ाते हैं, और पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं। लेकिन एक बात पर विशेष ज़ोर दिया जाता है कि शनिदेव की आंखों में सीधा न देखा जाए, यानी उनसे नजर न मिलाई जाए। आखिर इसके पीछे क्या कारण है? और यदि कोई भूलवश ऐसा कर ले तो क्या परिणाम हो सकता है?

शनिदेव की दृष्टि क्यों मानी जाती है प्रभावशाली और भारी?

धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, शनिदेव की दृष्टि बहुत तीव्र और प्रभावशाली मानी जाती है। यह न केवल शुभ और अशुभ फल प्रदान करती है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़े परिवर्तन ला सकती है। मान्यता है कि उनकी दृष्टि में तीव्र न्याय और तपस्विता की शक्ति है। जिस पर उनकी कुदृष्टि पड़ जाए, उसका भाग्य भी उलट सकता है। शनि को “क्रूर ग्रह” कहा गया है, लेकिन यह क्रूरता नहीं, बल्कि कठोर न्याय का प्रतीक है। उनकी दृष्टि व्यक्ति के पिछले और वर्तमान कर्मों का गहन विश्लेषण करती है और उसी के आधार पर फल देती है। यदि व्यक्ति का कर्म शुद्ध न हो, तो शनि की दृष्टि से उसका जीवन कष्टों से भर सकता है।

नजर मिलाने से क्यों किया जाता है मना?

  1. न्याय का प्रतीक – शनि देव की दृष्टि सीधी और निष्पक्ष होती है। यदि कोई व्यक्ति उनसे नजर मिलाता है, तो उनके सभी अच्छे और बुरे कर्म उनके सामने स्पष्ट हो जाते हैं। यदि बुरे कर्म अधिक हुए तो उनके परिणाम तुरंत मिल सकते हैं।

  2. अहंकार को तोड़ना – शनि की दृष्टि व्यक्ति के भीतर छिपे अहंकार, घमंड और छल को उजागर करती है। इसलिए उनसे नजर मिलाना खुद को जांचने के बराबर होता है, जो हर किसी के बस की बात नहीं।

  3. ऊर्जा की तीव्रता – धार्मिक मान्यता है कि शनि की आंखों में इतनी प्रबल ऊर्जा होती है कि सामान्य मनुष्य की आत्मा उसे सहन नहीं कर सकती। यही कारण है कि पूजा करते समय भी श्रद्धालु उनकी प्रतिमा की सीधी आंखों में देखने से बचते हैं।

अगर भूल से नजर मिल जाए तो क्या हो सकता है?

अगर कोई व्यक्ति अनजाने में शनि देव की आंखों में देख लेता है, और उसके कर्मों में पाप की अधिकता है, तो उसका जीवन कुछ समय के लिए कष्टों से घिर सकता है। इसे "शनि की साढ़ेसाती" या "ढैय्या" के रूप में अनुभव किया जाता है। जीवन में अड़चनें, रोग, आर्थिक तंगी, सामाजिक परेशानी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि यह हमेशा नकारात्मक नहीं होता। अगर व्यक्ति के कर्म शुद्ध और नेक हैं, तो शनिदेव की दृष्टि उसे तपाकर और भी परिपक्व बना सकती है। कई बार यह दृष्टि आत्मनिरीक्षण और आत्मशुद्धि का माध्यम भी बन जाती है।

शनिदेव की कृपा पाने के उपाय

  • शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं।

  • गरीबों, मजदूरों और जरूरतमंदों को दान दें।

  • काले तिल, काली उड़द और लोहे का दान करें।

  • हनुमान चालीसा का पाठ करें क्योंकि हनुमानजी की कृपा से शनि की दशा का प्रभाव कम होता है।

  • ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें।

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