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सावन में शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? जानें इस दिन का महत्व

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हिंदू पंचांग का पांचवां महीना सावन पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह महीना विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है। सावन माह 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कई महत्वपूर्ण त्यौहार और व्रत होते हैं। इनमें से सावन शिवरात्रि का पर्व अपनी धार्मिक महत्ता के कारण बहुत ही उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है। इस वर्ष सावन शिवरात्रि 23 जुलाई को मनाई जाएगी।

सावन शिवरात्रि कब और क्यों मनाई जाती है?

वैदिक पंचांग के अनुसार सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। 2025 में यह तिथि 23 जुलाई सुबह 4:39 बजे शुरू होकर 24 जुलाई की रात 2:28 बजे समाप्त होगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक विशेष विधि से किया जाता है।

सावन शिवरात्रि का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान विष का उद्भव हुआ था, जिसे देवता पी नहीं पा रहे थे। तब भगवान शिव ने स्वयं उस विष को ग्रहण किया और उसे पिया। विष पीने के कारण उनका गला जल गया और नीला पड़ गया, इसलिए उन्हें "नीलकंठ" कहा जाता है। शिव के इस बलिदान को याद करते हुए और उनकी करुणा को सम्मानित करने के लिए सावन मास में शिवरात्रि मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन देवताओं ने शिव का जल, दूध और अन्य पवित्र वस्तुओं से अभिषेक किया था।

सावन मास में जल चढ़ाने की परंपरा

सावन के महीने में शिवजी को जल चढ़ाना विशेष पुण्यकारी माना जाता है। यह श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस जलाभिषेक से शिवजी प्रसन्न होते हैं और उनके भक्तों के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। सावन मास के दौरान कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व होता है, जिसमें भक्त गंगा या अन्य पवित्र नदियों से जल लेकर भोलेनाथ के मंदिरों में चढ़ाते हैं।

सावन शिवरात्रि और कन्याओं का व्रत

सावन शिवरात्रि को अविवाहित कन्याएं भगवान शिव की पूजा कर आदर्श पति प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार की खुशहाली के लिए उपवास रखती हैं। यह व्रत और पूजा शिव और पार्वती के पवित्र विवाह का स्मरण भी है।

शिव-पार्वती विवाह का प्रतीक

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन मास में देवी पार्वती ने कठोर तपस्या और व्रत रखकर भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना की थी। इसी के फलस्वरूप शिवजी ने पार्वती को अपना जीवनसाथी स्वीकार किया। इसलिए सावन शिवरात्रि विवाह और प्रेम का भी प्रतीक माना जाता है।

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