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कुलधरा भूतिया क्यों है? 3 मिनट के इस वीडियो में जाने उस डरावने साए की सच्चाई जो हर रात यहां मंडराता है 

कुलधरा भूतिया क्यों है? 3 मिनट के इस वीडियो में जाने उस डरावने साए की सच्चाई जो हर रात यहां मंडराता है 

राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका रहस्यों और कहानियों से भरा पड़ा है, लेकिन जब बात होती है "कुलधरा गांव" की, तो यहां की खामोशी, वीरानी और रहस्य एक अलग ही भयावह अनुभूति कराते हैं। जैसलमेर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव दिन में जितना शांत और सुंदर दिखता है, रात के अंधेरे में उतना ही डरावना और रहस्यमयी हो जाता है। वर्षों से यह गांव वीरान पड़ा है और लोगों का मानना है कि यहां हर रात कोई अदृश्य साया मंडराता है। आखिर क्या है इस डरावने साए का सच?


कुलधरा: जहां समय थम गया
करीब 200 साल पहले तक कुलधरा एक संपन्न और समृद्ध गांव था। यहां पलिवाल ब्राह्मणों का निवास था, जो अपनी बुद्धिमत्ता, व्यापारिक सूझ-बूझ और सामाजिक समरसता के लिए प्रसिद्ध थे। कहा जाता है कि एक रात अचानक पूरा गांव खाली हो गया। कुलधरा समेत इसके आसपास के 83 गांवों के लोग रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए और आज तक उनका कोई सुराग नहीं मिला।

वो श्राप जिसने कुलधरा को बना दिया 'भूतिया गांव'
लोककथाओं के अनुसार, उस दौर के जैसलमेर के दीवान सलीम सिंह की काली नजर एक पलिवाल ब्राह्मण की सुंदर पुत्री पर थी। उसने लड़की से विवाह की जिद की और गांववालों को धमकाया कि यदि उसकी मांग पूरी नहीं हुई तो पूरे गांव को परेशान किया जाएगा। ब्राह्मणों की पंचायत ने एकमत होकर गांव खाली करने का निर्णय लिया, लेकिन जाते-जाते उन्होंने कुलधरा को श्राप दे दिया कि कोई भी इस गांव में दोबारा बस नहीं पाएगा। इस श्राप का असर आज तक बना हुआ है।

डरावने साए की रात
स्थानीय निवासियों और कई पर्यटकों के अनुसार, जब रात ढलती है और अंधेरा गहराने लगता है, तो कुलधरा के खंडहरों में कुछ अजीब सी गतिविधियां शुरू हो जाती हैं। कहीं पायल की आवाजें, कहीं किसी के चलने की हल्की आहटें, तो कभी अचानक ठंडी हवाओं का तेज झोंका जो डर का अहसास करा जाता है। कई लोगों ने यहां पर अजीब परछाइयों को भी देखा है, जो इंसानी नहीं लगतीं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता है?
विज्ञान इन कहानियों को महज वहम या मनोवैज्ञानिक प्रभाव मानता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब कोई स्थान वर्षों तक वीरान रहता है, तो वहां की ऊर्जा नकारात्मक हो जाती है, जिससे व्यक्ति के दिमाग पर डर और भ्रम का असर पड़ सकता है। लेकिन सवाल यह है कि यदि यह महज भ्रम है, तो क्यों कोई यहां रात बिताने की हिम्मत नहीं करता?

सरकार ने बनाई पर्यटन स्थल, लेकिन डर बना रहा
राजस्थान पर्यटन विभाग ने कुलधरा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है। दिन में यहां सैलानियों की अच्छी खासी भीड़ होती है जो इस रहस्य और डर की कहानी को जानने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, पूरा इलाका खाली हो जाता है। आसपास के गांवों के लोग मानते हैं कि यहां रात को रुकना खतरे से खाली नहीं।

परछाइयां, आवाजें और अनदेखी शक्तियां
कुछ रिसर्च टीमों और पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स ने कुलधरा में रात बिताने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी अजीबोगरीब अनुभव हुए। एक टीम ने बताया कि रात के दौरान कैमरे खुद-ब-खुद बंद हो गए, तापमान अचानक गिर गया और किसी अदृश्य शक्ति का अहसास हुआ। कुछ को ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उनका पीछा कर रहा हो।

कुलधरा आज भी पूछता है सवाल
क्या सच में कोई श्राप इतना शक्तिशाली हो सकता है कि सैकड़ों साल बाद भी उसका असर बना रहे? या फिर यह एक सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारणों से खाली हुआ गांव है, जिसे कहानियों ने भूतिया बना दिया? जवाब आज भी रहस्यमय हैं।

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