आखिर क्यों भगवान शिव से पहले होती है काल भैरव की पूजा, जानें पौराणिक कथा

यह प्रश्न भारतीय धार्मिक परंपराओं और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा है, जिसमें भगवान काल भैरव को भगवान शिव के रौद्र रूप और उनके गणों के अधिपति के रूप में पूजा जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों शिव से पहले काल भैरव की पूजा होती है और इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है।
कौन हैं काल भैरव?
काल भैरव को भगवान शिव का एक उग्र और रक्षक रूप माना जाता है। वे समय (काल) और न्याय के देवता हैं, जो बुराई, अधर्म और अज्ञान का विनाश करते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार, जब भी कोई भक्त किसी पवित्र तीर्थ या शिव मंदिर जाता है, तो वहां भगवान शिव की पूजा से पहले काल भैरव का पूजन करना आवश्यक होता है।
पौराणिक कथा – क्यों होती है पहले काल भैरव की पूजा?
एक प्रसिद्ध कथा शिव महापुराण और कल्पवृक्ष माहात्म्य में मिलती है: प्राचीन काल में एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। उस समय ब्रह्मा जी ने अहंकारवश स्वयं को सर्वोपरि बताना शुरू कर दिया। ब्रह्मा जी ने पंचमुखी रूप धारण करके भगवान शिव की निंदा की। यह देख शिव जी को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने तीसरे नेत्र से काल भैरव को उत्पन्न किया। काल भैरव ने ब्रह्मा के एक मुख को काट दिया। हालांकि ब्रह्मा जी अमर थे, लेकिन उनके पाँच मुखों में से एक नष्ट हो गया।इसके बाद भगवान शिव ने काल भैरव को ‘काशी का कोतवाल’ घोषित कर दिया और उन्हें सभी तीर्थों के रक्षक की भूमिका दे दी। यही कारण है कि आज भी काशी (वाराणसी) में प्रवेश करने से पहले काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है।
शिव से पहले क्यों पूजते हैं काल भैरव को?
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अनुमति स्वरूप पूजन: काल भैरव को शिव मंदिरों का रक्षक माना जाता है। यह मान्यता है कि जब तक काल भैरव की अनुमति नहीं मिलती, तब तक भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है।
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भक्तों की रक्षा: काल भैरव भक्तों की रक्षा करते हैं, विशेषकर रात्रि के समय। इसलिए रात्रिकालीन शिव पूजन में पहले भैरव पूजन जरूरी होता है।
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दंडाधिकारी स्वरूप: उन्हें धर्म का पालन कराने वाला और अधर्म का नाश करने वाला कहा गया है। मंदिरों में भी अनुशासन बनाए रखने के लिए पहले उनकी पूजा की जाती है।
काल भैरव जयंती और विशेष पूजा
काल भैरव की पूजा काल भैरव अष्टमी को विशेष रूप से की जाती है। यह दिन उनके प्रकट होने का माना जाता है और इस दिन तांत्रिक साधनाओं, भैरव मंत्रों और दीपदान का विशेष महत्व होता है।
भारत में प्रमुख काल भैरव मंदिर
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काल भैरव मंदिर, उज्जैन – यह सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जहाँ काल भैरव को शराब का भोग लगाया जाता है।
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काशी काल भैरव मंदिर, वाराणसी
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भैरव बाबा मंदिर, दिल्ली
निष्कर्ष
भगवान काल भैरव न केवल भगवान शिव के रक्षक हैं, बल्कि उनके आशीर्वाद के बिना शिव की उपासना भी अधूरी मानी जाती है। वे धर्म के प्रहरी हैं और हर भक्त की रक्षा करते हैं। इसलिए उनकी पूजा को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। अगर आप चाहें, तो इसी विषय पर एक छोटा वीडियो स्क्रिप्ट या सोशल मीडिया पोस्ट भी बना सकता हूँ। बताइए!