काल भैरव को क्यों लगाया जाता है शराब का भोग? मंदिर को लेकर जुड़ा है हैरान करने वाला रहस्य

भारत के कई मंदिरों में भगवान काल भैरव की पूजा बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। खास बात यह है कि कुछ मंदिरों में काल भैरव को शराब का भोग लगाया जाता है, जो देखने में अजीब और असामान्य लगता है। लेकिन इस अनोखे रीति-रिवाज के पीछे गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रहस्य छुपा हुआ है, जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाता है।
काल भैरव कौन हैं?
काल भैरव भगवान शिव के एक प्रचंड और भयंकर रूप हैं। इन्हें समय और मृत्यु के देवता के रूप में भी माना जाता है। वे पापों का संहारक, अंधकार और बुराई का विनाश करने वाले देवता हैं। पुराणों में बताया गया है कि काल भैरव ने काशी नगरी की रक्षा के लिए भयभीत असुरों का वध किया था। इसके कारण उन्हें “काशी के रक्षक” के रूप में भी पूजा जाता है।
शराब का भोग क्यों चढ़ाया जाता है?
काल भैरव की पूजा में शराब का भोग देना एक प्राचीन परंपरा है, खासकर उत्तर भारत के कुछ मंदिरों में। इसे देखकर कई लोग हैरान हो जाते हैं कि आखिर क्यों भगवान को शराब चढ़ाई जाती है। लेकिन यह भोग काल भैरव के तीव्र और क्रूर स्वरूप से जुड़ा हुआ है। पुरानी मान्यता के अनुसार, शराब उनके क्रोध को शांत करने और बुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए चढ़ाई जाती है।
काल भैरव की पूजा में शराब का प्रयोग एक तरह से उनकी शक्ति और प्रचंडता को स्वीकारने का प्रतीक है। कहा जाता है कि यह भोग भक्तों के पापों का संहार करता है और उन्हें बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा तथा रोगों से बचाता है। शराब के भोग के साथ भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने और जीवन की बाधाओं से मुक्ति पाने की कामना करते हैं।
काल भैरव मंदिरों से जुड़ा रहस्य
कई पुराने काल भैरव मंदिरों के पीछे कुछ ऐसे रहस्य और कहानियां भी जुड़ी हैं जो सुनने में चौंका देने वाली हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, काशी के काल भैरव मंदिर में जब भी शराब का भोग लगाया जाता है, मंदिर के दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं और जो व्यक्ति भोग चढ़ाने के बाद मंदिर छोड़ता है, उसे कभी भी बुरी शक्तियां नहीं छू पातीं।
इसके अलावा, माना जाता है कि काल भैरव भक्तों की रक्षा के लिए विशेष रूप से तैनात रहते हैं। इसलिए उनकी पूजा में शराब का भोग चढ़ाकर भक्त अपनी रक्षा और सुरक्षा की कामना करते हैं। कई जगहों पर भक्त काल भैरव की मूर्ति के सामने शराब का पान भी करते हैं, जो उनके प्रति पूर्ण विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है।
आधुनिक समय में भी बनी परंपरा
आज भी उत्तर भारत के कई मंदिरों में यह परंपरा कायम है, जहां श्रद्धालु भारी श्रद्धा और विश्वास के साथ काल भैरव को शराब का भोग लगाते हैं। कई जगह तो इस परंपरा को पर्यटक भी देखने आते हैं, जो इसे एक रहस्यमय और अनोखा धार्मिक संस्कार मानते हैं।
काल भैरव की पूजा में शराब का भोग लगाने की प्रथा यह दर्शाती है कि भारतीय संस्कृति में भले ही कुछ चीजें बाहरी तौर पर अजीब लगें, लेकिन उनके पीछे गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं छिपी होती हैं। यह परंपरा भक्तों को उनके जीवन में आ रही समस्याओं से मुक्ति दिलाने और सुरक्षात्मक आशीर्वाद देने का माध्यम बनती है।
निष्कर्ष:
काल भैरव को शराब का भोग चढ़ाने का रहस्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीक है। यह उनकी प्रचंडता और भक्तों की रक्षा करने वाली शक्ति का सम्मान करने का तरीका है। इस अनोखी परंपरा से जुड़ी कहानियां और रहस्य भारतीय धार्मिक विविधता और उसकी गहराई को दर्शाते हैं। यदि आप कभी उत्तर भारत में काल भैरव के किसी प्राचीन मंदिर जाएं तो इस अनोखे भोग और उसकी कथा को जरूर जानिए।