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जयगढ़ किला दिन में खूबसूरत पर्यटन स्थल और रात में क्यों यहां छा जाता है खौफनाक सन्नाटा ? वीडियो में जाने उन डरावनी परछाइयों का सच 

जयगढ़ किला दिन में खूबसूरत पर्यटन स्थल और रात में क्यों यहां छा जाता है खौफनाक सन्नाटा ? वीडियो में जाने उन डरावनी परछाइयों का सच 

राजस्थान की राजधानी जयपुर न केवल अपनी राजसी हवेलियों, किलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के कुछ ऐतिहासिक स्थलों के साथ रहस्यमयी कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। ऐसा ही एक किला है – जयगढ़ किला, जो दिन के समय हजारों पर्यटकों की चहल-पहल से गुलजार रहता है, लेकिन रात के समय यहां एक अजीब-सी खामोशी और भय का साया पसर जाता है। यह किला अपनी भव्यता और इतिहास जितना ही मशहूर है, उतना ही रहस्य और डरावनी कहानियों के लिए भी जाना जाता है।


शाही इतिहास और सैन्य महत्ता
जयगढ़ किला 18वीं सदी में महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था। अरावली की पहाड़ियों पर स्थित यह किला, आमेर किले के ठीक ऊपर स्थित है और उसे एक भूमिगत सुरंग से जोड़ता है। कभी यह किला राजपूतों की सैन्य गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था और यहीं स्थित है दुनिया की सबसे बड़ी तोप – ‘जयवाना’। इस किले की बनावट इतनी मजबूत है कि यह कभी किसी आक्रमणकारी के हाथ नहीं आया।

दिन में जीवंत, रात में वीरान
दिन के समय यह किला अपने वास्तुशिल्प, तोपखाने, संग्रहालय और शानदार व्यू पॉइंट्स के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। सूर्य की रोशनी में इसकी दीवारें सुनहरी चमक के साथ दमकती हैं और शाही इतिहास की कहानियां हर कोने से झांकती हैं। लेकिन जैसे ही सूरज अस्त होता है, ये ही दीवारें एक डरावने सन्नाटे में बदल जाती हैं।

क्यों छा जाता है खौफनाक सन्नाटा?
जयगढ़ किले से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियां और अफवाहें स्थानीय लोगों और गाइड्स के बीच प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि किले के कुछ हिस्सों में रात के समय अजीब आवाजें, चमकती परछाइयाँ, और अचानक चलने वाली हवाओं का अनुभव होता है।

एक पुरानी किंवदंती के अनुसार, जब किले में जयवाना तोप बनाई गई थी, तब इस तोप की परख करने के लिए इसका परीक्षण किया गया था। कहा जाता है कि इस परीक्षण में दूर तक तबाही हुई और कई गांव जलकर राख हो गए। कुछ लोग मानते हैं कि उन्हीं निर्दोषों की आत्माएं आज भी किले में भटकती हैं।

सैनिकों की आत्माएं या कोई गहरा रहस्य?
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जयगढ़ किला उस समय का राजकीय खजाना छिपाने का भी स्थान था। ऐसा माना जाता है कि मुगल काल में अकबर और औरंगज़ेब के खजाने यहीं पर सुरक्षित रखे गए थे। वर्षों तक यह खजाना जमीन में गड़ा रहा और कहा जाता है कि कई सैनिकों को इस खजाने की रक्षा के लिए मार डाला गया था। अब ये ही आत्माएं रात को किले में गश्त लगाती हैं।

आम लोगों और गार्ड्स का अनुभव
कई सुरक्षा गार्ड्स और स्थानीय गाइड्स ने यह दावा किया है कि रात के समय जब वे गश्त लगाते हैं, तो उन्हें अक्सर किसी के चलने की आहट, फुसफुसाहटें और ठंडी हवा के झोंकों जैसा महसूस होता है। कई बार बिजली अपने आप बंद हो जाती है, और किले के कुछ कोनों में अचानक ठंड बढ़ जाती है, जबकि बाकी जगह गर्म रहती है।

कुछ पर्यटकों ने बताया है कि जब वे किले में देर शाम तक रुक गए, तो उन्हें कमरे के कोनों से परछाइयाँ गुजरती दिखीं और अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। ऐसे अनुभवों के चलते किला प्रबंधन अब सूरज ढलते ही पर्यटकों के लिए गेट बंद कर देता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या कहता है?
वैज्ञानिक और तर्कवादी इन घटनाओं को प्राकृतिक कारणों से जोड़ते हैं। उनका मानना है कि यह सब मन का भ्रम, पुराने पत्थरों में से निकलने वाली नमी, और बंद हवा की वजह से गूंजने वाली आवाजें हैं। वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे ‘Residual Energy’ या स्थानों की स्मृति मानते हैं, जो उन घटनाओं का प्रभाव छोड़ जाती हैं जो वहां कभी घटी थीं।

क्या सचमुच भूतिया है जयगढ़?
इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है कि जयगढ़ किला सचमुच भूतिया है या नहीं, लेकिन यहां की रहस्यमयी घटनाएं, स्थानीय कहानियां और लोगों के अनुभव इसे एक ऐसा स्थान बनाते हैं जहां रोमांच और डर साथ-साथ चलते हैं। अगर आप इतिहास के साथ थोड़ा सा डर और रहस्य महसूस करना चाहते हैं, तो जयगढ़ किला आपके लिए जरूर देखने लायक जगह है – बशर्ते आप सूरज डूबने से पहले लौट आएं!

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