आखिर क्यों सिर्फ महाशिवरात्रि पर ही क्यों खुलते हैं इस मंदिर के कपाट? वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

हिंदू धर्म में हर त्योहार, व्रत और पूजा का अपना महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूजा-अर्चना करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। देश भर में असंख्य मंदिर हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं।
महाशिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार आज यानि 8 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस दिन शिव जी और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन लोग भगवान शिव की पूजा करने के लिए मंदिर जाते हैं। अगर आप भी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के किसी प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन करने की योजना बना रहे हैं तो आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में बताएंगे। जो साल में सिर्फ एक बार महाशिवरात्रि के दिन ही खुलता है, इसका रहस्य जानकर हैरान रह जाएंगे आप
एकलिंगेश्वर मंदिर जयपुर, राजस्थान में स्थित है। इस मंदिर के दरवाजे साल में केवल एक बार महाशिवरात्रि के दिन खुलते हैं। यह मंदिर जयपुर में जेएलएन मार्ग पर डायमंड हिल्स पर बना है। इसकी ऊंचाई के कारण पर्यटकों की नजर सबसे पहले इस पर जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति जीवन में एक बार एकलिंगेश्वर मंदिर के दर्शन करता है, उसके जीवन में आने वाली सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इसके अलावा उसके घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
यह मंदिर भी अन्य मंदिरों की तरह आम लोगों के लिए 365 दिन खुला नहीं रहता, बल्कि यह केवल एक दिन के लिए ही खुलता है। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर को लेकर लोगों में इतनी आस्था है कि लोग शिवरात्रि से एक दिन पहले शाम को यहां आते हैं और मंदिर के बाहर लाइन लगाना शुरू कर देते हैं। हर साल हजारों भक्त यहां आते हैं और बाबा का आशीर्वाद लेते हैं।
आपको बता दें कि इस मंदिर में भगवान शिव लिंगेश्वर रूप में विराजमान हैं। कई वर्ष पहले, विश्व की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक गायत्री देवी ने इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा शुरू की थी। विशेषज्ञों के अनुसार डायमंड हिल्स यानि मोती डूंगरी पर बने शिव के इस मंदिर में जयपुर राजघराने की सबसे सुंदर राजमाता गायत्री देवी प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना किया करती थीं। वह भी बहुत लम्बे समय तक यहां रही थी। आज भी राजपरिवार के सदस्य किसी विशेष अवसर पर यहां आते रहते हैं।
कहा जाता है कि उस समय गायत्री देवी अपने पति राजा मानसिंह के साथ यहां रहती थीं लेकिन राजा मानसिंह की मृत्यु के बाद वह लिलीपूल में रहने लगीं। इसके बाद वह सिर्फ तीज-त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ही यहां आती रहीं। लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई, किले में उनका आना-जाना कम होता गया।