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अजमेर शरीफ दरगाह के नाम से ही क्यों कांपने लगते हैं भूत-प्रेत और जिन्नात? वायरल वीडियो में जाने इस सूफी दरगाह के डरावने रहस्य 

अजमेर शरीफ दरगाह के नाम से ही क्यों कांपने लगते हैं भूत-प्रेत और जिन्नात? वायरल वीडियो में जाने इस सूफी दरगाह के डरावने रहस्य 

राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह यानी अजमेर शरीफ केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि मान्यता और चमत्कारों का ऐसा केंद्र है, जो सदियों से लोगों की श्रद्धा, आस्था और रहस्यमय अनुभवों का प्रतीक बना हुआ है। इस दरगाह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां आने से भूत-प्रेत और जिन्न जैसी नकारात्मक शक्तियां खुद-ब-खुद कांपने लगती हैं और पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है।


रहस्यमयी ताकत से युक्त सूफी स्थल
ख्वाजा साहब की दरगाह को केवल मुस्लिम ही नहीं, बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई और हर धर्म के लोग बराबर श्रद्धा से मानते हैं। लेकिन इस दरगाह के बारे में जो बात सबसे ज्यादा चौंकाती है, वो है भूत-प्रेत और तांत्रिक शक्तियों पर इसका असर। मान्यता है कि जो व्यक्ति लंबे समय से किसी जिन्न, प्रेत बाधा या ऊपरी हवा से परेशान हो, उसे यहां लाने मात्र से ही फर्क महसूस होने लगता है।दरगाह में विशेष रूप से हर शुक्रवार और उर्स के दौरान कई ऐसे लोग देखे जा सकते हैं जिन्हें किसी अलौकिक शक्ति ने जकड़ रखा होता है। लेकिन जैसे ही वे दरगाह परिसर में आते हैं, या ख्वाजा साहब की मज़ार के करीब बैठते हैं, वे चीखते-चिल्लाते हैं और उनके शरीर से वो शक्ति निकलने लगती है।

डरावने अनुभव जो आज भी लोगों की रूह कंपा देते हैं
कई लोगों ने बताया है कि उन्होंने खुद देखा कि किसी व्यक्ति के शरीर में मौजूद आत्मा ने ख्वाजा साहब के नाम से ही हार मान ली। जैसे ही “ख्वाजा गरीब नवाज़ की जय” या “या ख्वाजा” बोला गया, वो शक्ति बुरी तरह कांपने लगी और व्यक्ति का शरीर शांत हो गया।कुछ तांत्रिक यह दावा भी करते हैं कि उन्होंने इस दरगाह की दीवारों के पास जाते ही खुद को कमजोर और बेबस महसूस किया। इस स्थान की ऊर्जाएं इतनी प्रबल और पवित्र हैं कि कोई भी बुरी ताकत टिक नहीं सकती।

क्यों डरते हैं भूत-प्रेत और जिन्न?
सूफी संत मुईनुद्दीन चिश्ती को उनकी करुणा, सेवा, और अलौकिक शक्तियों के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि वे अपने जीवनकाल में सैकड़ों ऐसे लोगों को राहत दे चुके थे जो बुरी आत्माओं से पीड़ित थे। यहां आज भी “धागा बांधने” की परंपरा है, जिसमें लोग दरगाह की जाली पर एक धागा बांधकर अपनी मुराद मांगते हैं – खासकर मानसिक, शारीरिक या आध्यात्मिक शुद्धि के लिए।ऐसी मान्यता है कि जब यह धागा मन्नत पूरी होने पर खोला जाता है, तो बुरी आत्माएं भी पीछे हट जाती हैं और व्यक्ति को पूर्ण मुक्ति मिलती है।

तांत्रिक और ओझाओं की हार का स्थान
ऐसे कई किस्से हैं जहां काले जादू से पीड़ित लोग दरगाह पहुंचकर पूर्णतः ठीक हुए। कुछ मामलों में तांत्रिकों ने खुद स्वीकार किया कि अजमेर शरीफ के अंदर की ऊर्जा से वे प्रभावित हो गए और किसी भी प्रकार का “वशीकरण”, “प्रेत बाधा” या “जादू टोना” वहां काम नहीं करता।इस वजह से कई बार देखा गया है कि लोग यहां "उपचार" कराने दूर-दूर से आते हैं। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य भारत से लोग यहां अपनी पीड़ा लेकर पहुंचते हैं।

वैज्ञानिक पहलू भी देते हैं प्रमाण
हालांकि विज्ञान भूत-प्रेत को नहीं मानता, लेकिन मनोवैज्ञानिक यह स्वीकार करते हैं कि कुछ स्थानों की धार्मिक ऊर्जा और सामूहिक आस्था से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में तेजी से सुधार होता है। अजमेर शरीफ दरगाह का वातावरण, वहां की क़व्वालियाँ, सुगंध, और हजारों भक्तों की उपस्थिति एक सकारात्मक और शक्तिशाली वाइब्स पैदा करती है, जिससे पीड़ित मानसिक रूप से खुद को हल्का महसूस करता है।

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