भारत अपनी विविध संस्कृति, आस्थाओं और परंपराओं के लिए विश्व विख्यात है। यहां हर कोने में किसी न किसी देवी-देवता की पूजा होती है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां देवताओं की बजाय दानवों या राक्षसों की पूजा की जाती है? यह बात सुनकर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन इन मंदिरों के पीछे गहरी आस्था, लोककथाएं और सदियों पुरानी परंपराएं छिपी हैं। आइए जानते हैं भारत के कुछ ऐसे अनोखे मंदिरों के बारे में, जहां दानवों को पूजने की परंपरा है।
हिडिंबा देवी का मंदिर, मनाली (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित हिडिंबा देवी का मंदिर भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है, जहां एक राक्षसी देवी की पूजा की जाती है। महाभारत काल की यह हिडिंबा, जो पांडव भीम की पत्नी और घटोत्कच की मां थीं, को यहां देवी का दर्जा प्राप्त है। यह मंदिर अपनी लकड़ी और पत्थरों से बनी पैगोडा शैली की वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, हिडिंबा ने अपनी राक्षसी प्रवृत्तियों को त्याग कर धर्म और तपस्या का मार्ग अपनाया। इसी कारण उन्हें देवी का रूप मानकर पूजा जाता है। यह मंदिर इस बात का प्रतीक है कि बुराई को त्याग कर अच्छाई को अपनाने वाला हर व्यक्ति सम्मान का पात्र है। यहां हर साल श्रद्धालुओं का भव्य मेला लगता है।
पूतना का मंदिर, गोकुल (मथुरा)
भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के पास गोकुल में पूतना का मंदिर स्थित है। पूतना एक विषैली राक्षसी थी, जिसे कंस ने नवजात कृष्ण को मारने के लिए भेजा था। किंतु कृष्ण ने उसका वध कर दिया। हालांकि, लोक मान्यता में पूतना को एक “मां” के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि उसने कृष्ण को स्तनपान कराया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, दूध पिलाने वाली स्त्री को मां समान माना जाता है। इसलिए कई भक्त पूतना को मोक्ष प्राप्त करने वाली मां के रूप में पूजते हैं। यह मंदिर इस बात का प्रतीक है कि ईश्वरीय स्पर्श से किसी भी पापी का उद्धार हो सकता है।
अहिरावण मंदिर, अयोध्या के पास
रामायण से जुड़ा अहिरावण राक्षस पाताल लोक का राजा था। युद्ध के दौरान उसने राम और लक्ष्मण को पाताल लोक में बंदी बना लिया था, जिन्हें बाद में हनुमान जी ने मुक्त कराया। कुछ स्थानों पर अहिरावण को भी शक्ति के रूप में पूजा जाता है।
महिषासुर स्मारक स्थल, मैसूर (कर्नाटक)
मैसूर क्षेत्र का नाम महिषासुर नामक असुर से जुड़ा है, जो एक समय यहां का शासक था। देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, और इसी स्मृति में मैसूर में दशहरा उत्सव मनाया जाता है। चामुंडी हिल पर महिषासुर की विशाल मूर्ति स्थित है, जिसे लोग श्रद्धा से देखते हैं। हालांकि यह कोई मंदिर नहीं, परंतु यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है।
रावण मंदिर, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और मंदसौर (मध्य प्रदेश)
रामायण में रावण को खलनायक माना जाता है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में रावण को एक महान ज्ञानी, ब्राह्मण और शिवभक्त के रूप में पूजा जाता है। मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण का एक मंदिर है, जहां दशहरा के दिन रावण पूजा का आयोजन होता है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में भी रावण की पूजा की परंपरा जारी है।

