भगवान हनुमान अपने भक्तों की हर कठिनाई और संकट को दूर करने वाले संकटमोचन के नाम से विख्यात हैं। वे स्वयं श्री राम के परम भक्त हैं और सदैव उनका नाम स्मरण करते हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब श्री राम संकट में थे, तब हनुमान जी ने अपना पंचमुखी अवतार लिया और उन्हें संकट से बचाया। इस पंचमुखी अवतार के पीछे छिपे रहस्यों को जानना हर भक्त के लिए उत्सुकता का विषय होता है। आइए जानते हैं इस पौराणिक कथा का पूरा सच।
युद्ध का भयावह समय और रावण की चिंता
श्री राम और रावण के बीच एक भीषण युद्ध चल रहा था। रावण के शक्तिशाली योद्धा एक-एक करके मारे जा रहे थे। जब रावण के पुत्र मेघनाद का भी वध हो गया, तो रावण बहुत चिंतित हो गया क्योंकि उसके पास कोई योग्य योद्धा नहीं बचा था। इसी समय उसे अपने भाई अहिरावण की याद आई, जो पाताल लोक का शक्तिशाली राजा था। रावण ने अहिरावण से मदद मांगी।
विभीषण को यह जानकारी मिल गई। उन्हें अहिरावण की शक्तियों और मायावी प्रकृति की चिंता थी। इसलिए विभीषण ने हनुमान जी को इस खतरे से अवगत कराया। हनुमान जी ने श्री राम और लक्ष्मण की सुरक्षा का जिम्मा खुद संभाल लिया।
अहिरावण का छल और श्री राम-लक्ष्मण का अपहरण
अहिरावण रावण के आदेश पर युद्ध भूमि में आया। वह श्री राम और लक्ष्मण को मारने के लिए पाताल लोक भेजा गया। उस समय श्री राम और लक्ष्मण अपनी कुटिया में सो रहे थे और हनुमान जी बाहर पहरा दे रहे थे। हनुमान जी ने कुटिया के चारों ओर अभेद्य सुरक्षा घेरा बनाया था, जिससे कोई भी अंदर नहीं घुस सकता था।
अहिरावण कुटिया के बाहर पहुंच गया, लेकिन अपनी मायावी शक्ति के कारण अंदर नहीं जा सका। तब उसने विभीषण का रूप धारण किया और हनुमान जी के पास जाकर श्री राम के दर्शन की अनुमति मांगी। हनुमान जी को विभीषण समझकर उसने कुटिया में प्रवेश किया और श्री राम-लक्ष्मण को अगवा कर पाताल लोक ले गया।
पाताल लोक में हनुमान का पंचमुखी अवतार
हनुमान जी जब यह खबर सुनें तो वे तुरंत पाताल लोक की ओर बढ़े। वहां उन्हें मकरध्वज नामक सुरक्षा गार्ड मिला, जो उनके पुत्र थे। मकरध्वज ने हनुमान जी को अपनी जन्मकथा सुनाई और उनकी मदद की।
हनुमान जी ने श्री राम और लक्ष्मण को बेहोशी की अवस्था में देखा और गहरे दुखी हुए। अहिरावण उनकी बलि देने की तैयारी कर रहा था। उसने मायावी देवी की मूर्ति के चारों ओर पाँच दीपक जलाए थे, जिनके बुझते ही उसकी मृत्यु निश्चित थी।
हनुमान जी ने अपना पंचमुखी रूप धारण किया, जिसमें उनके पाँच मुख होते हैं, जो शक्ति और सामर्थ्य के प्रतीक हैं। इस रूप में उन्होंने एक साथ पाँचों दीपक बुझा दिए। इससे अहिरावण की मृत्यु हो गई और वह शक्ति समाप्त हो गई।
पुनः मुक्ति और विजय
अहिरावण के मारे जाने के बाद हनुमान जी ने श्री राम और लक्ष्मण को उनके बंधनों से मुक्त किया। फिर वे पुनः पृथ्वी लोक में लौटे। इस कारण से हनुमान जी को पंचमुखी हनुमान भी कहा जाता है, जो संकटों को हराने वाले हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

