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हनुमान जी को क्यों करना पड़ा था विवाह, जानें कौन हैं उनकी पत्नी जिनके साथ इस मंदिर में विराजमान हैं बजरंगबली

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हनुमान जी को अक्सर संतानहीन, ब्रह्मचार्य जीवन वाले और अनाहत यानि अविवाहित देवता के रूप में पूजा जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि पौराणिक कथाओं में हनुमान जी का विवाह भी हुआ था। आइए जानते हैं इस दुर्लभ विषय के बारे में और जानें उनकी पत्नी कौन थीं, साथ ही वह कौन सा खास मंदिर है जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं।

हनुमान जी का विवाह क्यों हुआ?

हनुमान जी को बचपन से ही ब्रह्मचार्य (अविवाहित) माना जाता है। लेकिन कई पौराणिक आख्यानों और लोक मान्यताओं में उल्लेख मिलता है कि एक समय हनुमान जी का विवाह हुआ था। इसके पीछे कुछ कारण बताए गए हैं:

  1. वंशवृद्धि के लिए: कुछ कथाओं के अनुसार, हनुमान जी के विवाह का उद्देश्य अपने वंश को बढ़ाना था, ताकि उनकी दिव्य शक्तियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहें।

  2. मंत्रों और तप से जन्मे पुत्र के लिए: कुछ कहानियों में बताया गया है कि हनुमान जी के पुत्र ने भी कई देवों की सहायता की थी। इसलिए उनका विवाह जरूरी माना गया।

  3. धार्मिक अनुष्ठान और पूजा की परंपरा: कई जगहों पर हनुमान जी के विवाह की कथा को पूजा के दौरान विशेष महत्व दिया जाता है, जिससे भक्तों को समृद्धि और खुशहाली मिलती है।

हनुमान जी की पत्नी कौन थीं?

हनुमान जी की पत्नी के रूप में सबसे प्रसिद्ध नाम है सुंदरकली या सती। कुछ अन्य आख्यानों में उनकी पत्नी का नाम तारा भी मिलता है।

  • सुंदरकली: ऐसा माना जाता है कि सुंदरकली एक दिव्य कन्या थीं, जिनसे हनुमान जी का विवाह हुआ था। वे अत्यंत भक्त और हनुमान जी की भक्ति में लीन थीं।

  • तारा: कुछ कथाओं के अनुसार, तारा नामक महिला से भी हनुमान जी का विवाह हुआ था। वे हनुमान जी की शक्ति और साहस की साथी मानी जाती हैं।

वह कौन सा मंदिर है जहां हनुमान जी और उनकी पत्नी विराजमान हैं?

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में एक प्रसिद्ध मंदिर है — "हनुमान-सुंदरकली मंदिर"। इस मंदिर में हनुमान जी और उनकी पत्नी सुंदरकली की मूर्तियाँ एक साथ स्थापित हैं।

यह मंदिर भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है क्योंकि यहां हनुमान जी को दंपति रूप में पूजा जाता है, जो प्रेम, शक्ति और समर्पण का प्रतीक है।

इस कथा का धार्मिक महत्व

हनुमान जी के विवाह की कथा हमें यह सिखाती है कि भक्ति और शक्ति के साथ-साथ जीवन में संतुलन और परिवार का भी महत्व होता है।

भक्त मानते हैं कि हनुमान जी का विवाह उनके आदर्श चरित्र का एक पहलू है, जो यह दिखाता है कि वे केवल एक वीर योद्धा ही नहीं, बल्कि एक प्रेमपूर्ण पति भी थे।

निष्कर्ष

हनुमान जी को विवाह करना पड़ा था ताकि उनकी शक्तियाँ और भक्ति का संचार पीढ़ी दर पीढ़ी होता रहे। उनकी पत्नी सुंदरकली या तारा थीं, जो उनकी शक्ति और भक्ति की साथी थीं। मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में स्थित हनुमान-सुंदरकली मंदिर इस दुर्लभ दंपति रूप को दर्शाता है।

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