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हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा की कहां-कहां होती है पूजा, क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा

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भारत में भगवान हनुमान के कई रूप और उनकी मूर्तियाँ देखी जाती हैं, जिनमें से सबसे आम रूप सिंदूरी या लाल रंग में होता है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। हालांकि, कुछ स्थानों पर हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा भी स्थापित है, जिनकी पूजा विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। काले रंग की मूर्ति का पूजा विशेष रूप से उन स्थानों पर होती है जहां भक्तों को नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति, मानसिक शांति और सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

काले हनुमान जी की प्रतिमा कहां होती है पूजा?

  1. जयपुर (काले हनुमान मंदिर): जयपुर में स्थित काले हनुमान मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जहां हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा स्थापित है। यहां श्रद्धालु राहु-केतु दोष, शनि दोष और कालसर्प दोष जैसी परेशानियों से मुक्ति के लिए पूजा करते हैं। इस मंदिर में विशेष रूप से काला चोला चढ़ाने की परंपरा है, जो हनुमान जी के काले रूप की पूजा में विशेष स्थान रखती है।

  2. भरतपुर (काले हनुमान मंदिर): भरतपुर के काले हनुमान मंदिर में भी श्रद्धालु नियमित रूप से काले रंग की हनुमान प्रतिमा की पूजा करते हैं। यहां पर काले हनुमान जी पर चढ़ने वाला चोला काले रंग का होता है, जो उनके उग्र और रक्षक स्वरूप को दर्शाता है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में पूजा करने से वे मानसिक शांति और कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं।

  3. बंगाल (कलकत्ता में काले हनुमान जी की प्रतिमा): पश्चिम बंगाल के कुछ स्थानों पर भी काले हनुमान जी की पूजा होती है। यहां की मूर्तियों का रंग काला होता है और भक्त विशेष पूजा विधियों के माध्यम से उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। काले हनुमान जी की पूजा यहां के विशेष रूप से तंत्र-मंत्र और शास्त्रों के अनुसार की जाती है।

  4. महाराष्ट्र (काले हनुमान मंदिर): महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी काले हनुमान जी की प्रतिमा की पूजा की जाती है, जहां यह मान्यता है कि काले रंग की मूर्ति शनि देव के प्रभाव को समाप्त करने और नकारात्मकता से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है।

काले हनुमान जी की प्रतिमा के पीछे की पौराणिक कथा

काले हनुमान जी की पूजा और उनके काले रूप के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जो खासतौर पर हनुमान जी की शक्ति और उनके उग्र रूप को दर्शाती है। यह कथा रामायण से संबंधित है, जब भगवान राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था। कहा जाता है कि जब रावण के साथ युद्ध में हनुमान जी को अपने पूरे बल और क्रोध का इस्तेमाल करना पड़ा, तो उन्होंने अपने शरीर में शक्ति और आक्रोश को समाहित किया, जिससे उनका रूप बदल गया और वह काले रंग में परिवर्तित हो गए। उनका यह रूप था "उग्र हनुमान" जो नकारात्मक शक्तियों और बुराई का नाश करने में सक्षम था। यही कारण है कि काले हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए होती है जो जीवन में कष्टों, दोषों या रोगों से मुक्त होना चाहते हैं।

काले हनुमान जी की पूजा का महत्व

काले हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह पूजा सुरक्षा, संकट से मुक्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति, और नकारात्मकता का नाश करती है। भक्तों का मानना है कि काले हनुमान जी की प्रतिमा की पूजा से जीवन में स्थिरता, आध्यात्मिक शांति और सफलता प्राप्त होती है।

  1. राहु-केतु और शनि दोष से मुक्ति: काले हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए की जाती है जो राहु-केतु या शनि दोष से परेशान हैं। यह माना जाता है कि हनुमान जी के काले रूप की पूजा से इन दोषों का प्रभाव कम होता है।

  2. कष्टों और बाधाओं से मुक्ति: काले हनुमान जी की पूजा से जीवन में आने वाली आध्यात्मिक और मानसिक बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

काले हनुमान जी की प्रतिमा की पूजा का अपना एक अलग महत्व और प्रभाव है। इस पूजा से न केवल शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और नकारात्मकता से बचाव भी मिलता है। यदि आप भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो काले हनुमान जी की पूजा आपके लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकती है। आप भी इन मंदिरों में जाकर हनुमान जी के काले रूप का दर्शन करें और उनकी शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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