आखिर क्या है काले हनुमान मंदिर की कहानी? जहां पीएम से लेकर सीएम तक मांग चुके है जीत का आर्शीवाद
जयपुर के प्रसिद्ध काले हनुमान मंदिर में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूजा-अर्चना की। इस मंदिर की विशेषता है यहां स्थापित बजरंगबली की काले रंग की प्रतिमा, जिसे देशभर में अनोखे और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन मंदिर का वातावरण भक्तों की आस्था और भक्ति से अत्यंत प्रफुल्लित रहता है।
मंदिर महंत ने वसुंधरा राजे को मकर संक्रांति की बधाई देते हुए पारंपरिक दुपट्टा पहनाकर उनका स्वागत किया। इसके साथ ही महंत ने मंदिर की प्रसिद्ध चौपाई “लाल बदन लाल फीता ओढ़े, दूजी धरती लाल लंगूर...” का भी वर्णन किया, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। इस चौपाई में बजरंगबली के लाल रंग और उनके वज्र समान शरीर की महिमा का वर्णन किया गया है, जो राक्षसों का संहार करता है।
काले हनुमान की पौराणिक कथा
जयपुर के हवा महल के पास स्थित इस मंदिर को काले हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां स्थापित हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा एक अनूठी पौराणिक कथा से जुड़ी है। कथा के अनुसार, जब हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूरी की, तब उन्होंने गुरु सूर्यदेव से गुरु दक्षिणा मांगने के लिए कहा। सूर्यदेव ने उनसे कहा कि उनके पुत्र शनिदेव उनके अनुरोध पर नहीं मानते और उन्हें वापस बुलाने का काम हनुमान जी को करना होगा।
हनुमान जी ने शनिदेव से जाकर उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन शनिदेव क्रोधित होकर अपनी कुदृष्टि हनुमान जी पर डाल देते हैं, जिससे हनुमान जी का रंग काला पड़ जाता है। हालांकि, इस दृष्टि का प्रभाव नहीं हुआ और हनुमान जी शनिदेव को मनाने में सफल रहे। प्रसन्न होकर शनिदेव ने वचन दिया कि जो भी शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करेगा, उसकी कोई भी विपत्ति नहीं होगी।
मंदिर की खास मान्यता और चमत्कारिक नेत्र-तंतु
काले हनुमान मंदिर की एक अनोखी और प्रसिद्ध मान्यता यह है कि यहां भगवान बजरंगबली के आशीर्वाद से चमत्कारी नेत्र-तंतु बनता है। यह नेत्र डोरी विशेष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बनाई जाती है। माना जाता है कि इस नेत्र-तंतु को पहनने से बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होता है और वे रोगों से बचते हैं।
इस खास वजह से देश-विदेश से लोग अपने बच्चों के लिए इस नेत्र-तंतु को बनवाने यहां आते हैं। साथ ही भक्त हनुमान जी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं और मंदिर की पवित्रता का अनुभव करते हैं।
मंदिर में भक्तों की भीड़
सामान्य दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन मंगलवार और मकर संक्रांति जैसे विशेष अवसरों पर भक्तों की भीड़ और बढ़ जाती है। मंदिर में हनुमान जी की पूर्वमुखी प्रतिमा स्थापित है, जो वर्षों पुरानी है और भक्तों के लिए अत्यंत प्रिय है।
यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपनी अनोखी पौराणिक कथाओं और चमत्कारिक मान्यताओं के कारण राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

