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क्या है जयपुर सिटी पैलेस में हर अमावस्या रात फैलने वाली गुलाबी महक का राज? वीडियो में सच जान काँप जाएंगे आप 

क्या है जयपुर सिटी पैलेस में हर अमावस्या रात फैलने वाली गुलाबी महक का राज? वीडियो में सच जान काँप जाएंगे आप 

जयपुर – गुलाबी शहर, जिसकी दीवारों में इतिहास की गूंज है और हवाओं में संस्कृति की मिठास। लेकिन इस शहर की शाही धड़कनों के बीच एक रहस्य ऐसा भी है, जो सदियों से लोगों को चौंकाता रहा है — जयपुर सिटी पैलेस में हर अमावस्या की रात फैलने वाली गुलाबी खुशबू। यह कोई आम इत्र या फूलों की सुगंध नहीं, बल्कि एक रहस्यमयी सुगंध है जो विज्ञान की पकड़ से भी अब तक बाहर है। सवाल यह है: आखिर यह खुशबू आती कहां से है?

गुलाबी शहर और गुलाबी रहस्य

जयपुर को ‘पिंक सिटी’ का नाम उसकी इमारतों के रंग के कारण मिला, लेकिन सिटी पैलेस की दीवारों में बसने वाली गुलाबी महक इस नाम को एक अलग ही मायने देती है। हर अमावस्या की रात जब पूरा शहर नींद में होता है और आकाश तारों से रहित रहता है, उस समय सिटी पैलेस के कुछ खास हिस्सों से एक हल्की गुलाबी, गुलाब जैसी खुशबू उठने लगती है।

इस महक को महसूस करने वाले कहते हैं कि यह न केवल नाक को भाती है, बल्कि दिल को सुकून भी देती है — मानो किसी रूह की उपस्थिति आपको छूकर निकल गई हो।

क्या है इतिहास इस महक के पीछे?

स्थानीय लोककथाओं और दंतकथाओं में यह खुशबू कई शाही प्रेम कहानियों से जुड़ी हुई है। सबसे मशहूर कथा है महाराजा माधो सिंह द्वितीय और उनकी प्रिय रानी गोमती देवी की। कहा जाता है कि रानी गुलाब के इत्र की दीवानी थीं और हर अमावस्या को वो सिटी पैलेस के ‘मधुर महल’ में पूजा करती थीं, जहां वो विशेष गुलाब के अत्तर का उपयोग करती थीं।रानी की असामयिक मृत्यु के बाद भी, हर अमावस्या की रात उस कमरे में वही महक फैल जाती है, मानो रानी अब भी अपने इत्र से सजधज रही हों।

वैज्ञानिक नहीं समझा सके रहस्य

जयपुर विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों और रसायनशास्त्रियों ने इस महक के रहस्य को समझने के लिए कई बार अध्ययन किए हैं। उन्होंने उस क्षेत्र की हवा, नमी, टेम्परेचर और मिट्टी के सैंपल भी लिए, लेकिन अब तक कोई रासायनिक स्रोत इस महक का नहीं मिला।एक अध्ययनकर्ता ने बताया, “हमने रात के समय एयर सेंसर लगाए थे, लेकिन किसी भी प्रकार के अरोमा के घटक या इंडस्ट्रील फ्रेगरेंस के संकेत नहीं मिले।”

महल के सेवकों की मान्यता

महल के पुराने सेवकों और पुजारियों का मानना है कि यह खुशबू किसी आध्यात्मिक शक्ति या दिव्य आत्मा की उपस्थिति का संकेत है। उनका कहना है कि सिटी पैलेस की दीवारें केवल पत्थर की नहीं हैं, बल्कि इनमें प्रेम, तपस्या और भक्ति की स्मृतियां कैद हैं।कुछ सेवकों का मानना है कि यह खुशबू उस समय उत्पन्न होती है जब कोई “पवित्र आत्मा” वहां आती है, और यह महक एक संदेश होती है — कि वो आत्मा अब भी वहीं है।

पर्यटकों के अनुभव

देश-विदेश से आए कई पर्यटकों ने भी इस अनुभव को साझा किया है। उन्होंने Tripadvisor और अन्य प्लेटफॉर्म पर लिखा है कि “हम सिटी पैलेस घूमने गए थे, तब कुछ खास नहीं लगा, लेकिन रात में होटल की बालकनी से जब हमने महल की तरफ देखा, तो अचानक गुलाब जैसी मीठी खुशबू आने लगी। आसपास कोई फूल नहीं था, तब समझ नहीं आया कि ये कहां से आई।”कुछ टूरिस्ट्स ने तो यह भी कहा कि उन्हें इस महक के साथ किसी अनजानी परछाई या धीमी सी महिला की हंसी भी सुनाई दी, जिससे ये अनुभव और रहस्यमयी हो गया।

क्या है मौसम और खगोल से जुड़ाव?

कुछ अध्येताओं का यह भी मानना है कि यह घटना मौसम और खगोलीय स्थिति से जुड़ी हो सकती है। अमावस्या की रातें अधिक शांत, ठंडी और नम होती हैं। इस समय हवाओं का बहाव और नमी का स्तर कभी-कभी पुरानी दीवारों में जमे सुगंधित तेलों या इत्र को सतह पर लाने में सक्षम होता है।हालांकि, ये सिर्फ एक अनुमान है। महक की ताकत और उसका हमेशा अमावस्या को ही महसूस होना, इसे केवल मौसम से जोड़कर नहीं समझाया जा सकता।

आध्यात्म और शाही रहस्य का संगम

जयपुर सिटी पैलेस सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि एक जीती-जागती विरासत है, जिसके हर पत्थर में कुछ न कुछ बसा है। यह गुलाबी महक महल की उसी विरासत का हिस्सा है — एक ऐसा राज, जो सदियों से अपने उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा है।शायद यह रानी गोमती देवी की आत्मा का आशीर्वाद है, या शायद कोई अलौकिक संकेत — जो हमें बताता है कि इस शहर की हवाओं में केवल इतिहास नहीं, बल्कि एक जादू भी घुला है।

निष्कर्ष:

जयपुर सिटी पैलेस में हर अमावस्या की रात उठने वाली गुलाबी महक आज भी एक रहस्य है — एक ऐसा रहस्य, जो इतिहास, प्रेम और आध्यात्म के संगम से जन्मा है। यह महक हमें यह एहसास कराती है कि कभी-कभी भावनाओं और आत्माओं की मौजूदगी को समझने के लिए विज्ञान नहीं, अनुभव चाहिए।

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