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ऐसा क्या हुआ जो 30 साल की महिला ने जीते जी खुद का किया अंतिम संस्कार

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कभी-कभी जीवन में ऐसे वाकये होते हैं, जो हमें हैरान कर देते हैं और हमें यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि हम अपनी जिंदगी को किस नजरिए से देख रहे हैं। कुछ ऐसा ही हुआ चीन के झेजियांग प्रांत में, जहां एक 30 वर्षीय महिला ने अपनी मौत से पहले खुद का अंतिम संस्कार किया। यह वाकया सुनकर हर कोई हैरान रह गया और यह सवाल उठने लगा कि आखिर इस महिला ने ऐसा कदम क्यों उठाया?

क्या था मामला?

यह चौंकाने वाली घटना झेजियांग प्रांत की है, जहां 30 साल की महिला जियांग यी को तीन महीने पहले ही सर्वाइकल कैंसर का पता चला था। डॉक्टरों ने बताया कि उसके पास सिर्फ दो साल का समय बचा है। इस दर्दनाक खबर ने महिला को अंदर से तो तोड़ दिया, लेकिन उसने हार मानने की बजाय अपने जीवन को एक नए तरीके से जीने का फैसला किया। उसने अपनी जिंदगी के आखिरी समय को खास बनाने के लिए खुद का अंतिम संस्कार करवाने का नायाब कदम उठाया।

अंतिम संस्कार का आयोजन

जियांग यी ने अपने फ्यूनरल का आयोजन खुद किया और अपने जीवन को सेलिब्रेट करते हुए दुनिया और अपने दोस्तों को अलविदा कहा। इस आयोजन में शामिल होने के लिए कई लोग आए और महिला को आशीर्वाद दिया। जियांग ने अपने अंतिम संस्कार के लिए खुद की एक तस्वीर बनवाकर उसे एक प्रिय स्मृति चिन्ह के रूप में फ्रेम करवाया। इसके साथ ही एक पोस्टर पर लिखा, "नमस्ते! अगर मैं बदकिस्मत हूं, तो अगले दो साल में देवदूत बन जाऊंगी। मुझे उम्मीद है कि आप मुझे अपना आशीर्वाद जरूर देंगे।"

आशीर्वाद और समर्थन

महिला के अंतिम संस्कार में शामिल लोग बेहद इमोशनल हो गए। एक शख्स ने जियांग से कहा, "मुझे उम्मीद है आपके भविष्य का हर दिन सुनहरी धूप की तरह होगा।" एक अन्य महिला ने जियांग को गले लगाकर सांत्वना देते हुए कहा, "यह उतना भयानक नहीं है, जितना लगता है। मैंने भी अपनी जिंदगी में एक बार गंभीर रूप से बीमारी का सामना किया था, लेकिन मैंने उस पर काबू पा लिया। मुझे यकीन है कि आप भी ऐसा ही करेंगी।"

यह शब्द जियांग के लिए बहुत मायने रखते थे, क्योंकि उनकी स्थिति से निपटने के लिए उन्हें साहस और समर्थन की जरूरत थी। इस विदाई समारोह के दौरान एक इमोशनल स्लाइड शो भी दिखाया गया, जिसमें जियांग के जीवन की घटनाएं, उनका करियर, और उनके बचपन की यादें साझा की गईं।

बेटे के बारे में इच्छा

इस दौरान जियांग ने अपनी इच्छा जताई कि वह अपने बेटे को बड़ा होते हुए देखना चाहती हैं। यह बात सुनकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। जियांग ने कहा, "मुझे मौत का डर नहीं है, लेकिन मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा मुझे अपने जीवन के सबसे अच्छे दिनों में याद रखे।" यह शब्द उनकी निस्वार्थ मातृत्व भावना और जीवन के प्रति उनके सकारात्मक दृष्टिकोण को दिखाते हैं।

जियांग की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

जियांग की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन चाहे जितना भी कठिन क्यों न हो, हमें हर पल को पूरी तरह से जीने की कोशिश करनी चाहिए। अगर हम दुखों और कठिनाइयों से घिरे होते हुए भी आशावादी रहें और अपनी उम्मीदों को बनाए रखें, तो हम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं। जियांग ने हमें यह दिखाया कि अगर हमारी सोच सही है और हमारे भीतर आत्मविश्वास है, तो हम किसी भी कठिन परिस्थिति से उबर सकते हैं।

उनकी इस प्रेरक कहानी से यह भी संदेश मिलता है कि हमें अपने प्रियजनों के साथ हर पल को अच्छे से बिताना चाहिए, क्योंकि जीवन कभी भी अनिश्चित हो सकता है। जियांग ने अपने दर्द और मुश्किल समय में भी इस मुश्किल समय को सेलिब्रेट किया और अपने प्रियजनों से आशीर्वाद लिया।

निष्कर्ष

जियांग की कहानी ने हम सभी को यह सिखाया कि हर एक क्षण की कीमत होती है। चाहे जीवन कितना भी कठिन हो, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। जियांग ने इस प्रक्रिया के दौरान जो साहस और सकारात्मकता दिखाई, वह न केवल उन्हें बल्कि उनके परिवार और दोस्तों को भी प्रेरित करने वाला है। उनके जीवन के इस अंतिम अध्याय ने हमें यह याद दिलाया कि जीवन को खुलकर जीना चाहिए, चाहे हमारी स्थिति जैसी भी हो।

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