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भारत की ऐसी अनोखी जगह, जहां करवाई जाती है आत्माओं की शादी, निभाई जाती हैं अनोखी रस्में

 भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां कई ऐसी परंपराएं निभाई जाती हैं जिनके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। यहां............
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 भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां कई ऐसी परंपराएं निभाई जाती हैं जिनके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। यहां शादी के दौरान कई परंपराएं निभाई जाती हैं। आप भी अब तक कई शादियों में शामिल हुए होंगे लेकिन क्या आपने कभी भूत-प्रेतों की शादी के बारे में सुना है। जी हां, यह परंपरा कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में आज भी प्रचलित है। यहां मरने के बाद आत्माओं की शादी कराई जाती है। कहा जाता है कि ऐसा उनके माता-पिता उनकी आत्मा की खुशी के लिए करते हैं।

आत्माओं के इस विवाह को प्रीत कल्याणम कहा जाता है। कर्नाटक और केरल के कई हिस्सों में कुछ समुदायों में यह परंपरा आज भी जीवित है। कुछ समय पहले यूट्यूबर एनी अरुण ने एक ऐसी शादी के बारे में बताया था. यहां दो बच्चों चंदप्पा और शोभा की मौत के 30 साल बाद उनकी शादी हुई। यूट्यूबर ने ट्वीट किया था, मैं आज एक शादी में हूं। असल में दूल्हा मर चुका है और दुल्हन भी मर चुकी है. करीब 30 साल पहले उनकी मौत हो गई और आज उनकी शादी हो चुकी है। यह उन लोगों को अजीब लग सकता है जो दक्षिण कन्नड़ की परंपराओं के आदी नहीं हैं। लेकिन हमारे यहां यह एक गंभीर परंपरा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, जो बच्चे 18 साल की उम्र से पहले मर जाते हैं, उनकी मौत के कुछ साल बाद उनकी शादी उसी तरह की मौत की कहानी वाले बच्चों से कर दी जाती है। यह परंपरा दक्षिण कन्नड़ में प्रचलित है। यहां लोगों का मानना ​​है कि उनके प्रियजन की आत्मा भटकती रहती है और उन्हें कभी 'मोक्ष' नहीं मिलता है। लोगों का मानना ​​है कि शादी के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है और भटकती आत्मा से परिवार को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

आत्माओं की इस शादी में वो सभी रस्में निभाई जाती हैं, जो आम शादी में होती हैं। इस दौरान सगाई समारोह से लेकर शादी तक की सभी परंपराएं निभाई जाती हैं। दूल्हा सबसे पहले 'धारे साड़ी' लाता है, जिसे दुल्हन शादी या लग्न या मुहूर्त के समय पहनती है। दुल्हन को सजने-संवरने के लिए भी पर्याप्त समय दिया जाता है और सभी रस्में इस तरह से की जाती हैं मानो दिवंगत आत्माएं परिवार के सदस्यों के बीच हों। दूल्हा और दुल्हन को शादी के कपड़े पहनाए जाते हैं और रिश्तेदार उन्हें रस्में निभाने के लिए ले जाते हैं। इस दौरान सात फेरे, मुहूर्त, कन्यादान और मंगलसूत्र पहनने जैसी सभी परंपराओं का पालन किया जाता है।

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