भानगढ़ किले के आसपास के ग्रामीण लोग आज भी अनुभव करते है डरावनी आवाज़ों की आहाट, वीडियो में अनुभव जान सहम जाएंगे आप

राजस्थान के अलवर जिले में अरावली की पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है भानगढ़ का किला, जो जितना अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है, उससे कहीं ज्यादा प्रसिद्ध है अपने रहस्यमयी और भूतिया किस्सों के लिए। भारत का सबसे चर्चित “हॉन्टेड” स्थल कहे जाने वाले इस किले की कहानियां सिर्फ पर्यटकों को ही नहीं डरातीं, बल्कि आज भी यहां के आसपास के गांवों में बसे लोग भी उन डरावनी आवाज़ों और अजीब घटनाओं का अनुभव करते हैं।
इतिहास और भव्यता से लेकर डरावनी कहानियों तक
भानगढ़ किले का निर्माण 17वीं सदी में राजा माधो सिंह ने करवाया था, जो आमेर के शासक मान सिंह के छोटे भाई थे। यह किला एक समय में रौनक से भरपूर नगर था, जहां व्यापार, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता था। लेकिन आज यह वीरान है – एक ऐसा सुनसान इलाका, जहां सूर्यास्त के बाद कदम रखना कानूनन मना है।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने बाकायदा एक बोर्ड लगाकर चेतावनी दी है कि सूर्यास्त के बाद भानगढ़ किले में प्रवेश वर्जित है। सवाल उठता है – आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक समृद्ध नगर आज रहस्य, डर और अफवाहों का गढ़ बन गया?
वजह एक श्राप की कहानी?
भानगढ़ की सबसे प्रसिद्ध किंवदंती एक तांत्रिक और रानी रत्नावती की कहानी है। माना जाता है कि रानी रत्नावती असाधारण सुंदरता की धनी थीं और एक तांत्रिक उनसे एकतरफा प्रेम करता था। जब रानी ने उसके काले जादू को विफल कर दिया, तो तांत्रिक ने क्रोध में आकर पूरे नगर को श्राप दे दिया — “यह नगर कभी आबाद नहीं हो पाएगा”। इसके बाद युद्ध, विनाश और तबाही ने ऐसा कहर ढाया कि पूरा भानगढ़ वीरान हो गया।
आज भी सुनाई देती हैं चीखें, घुंघरुओं की आवाजें
कहने को ये सब पुरानी कहानियां हैं, लेकिन आज भी भानगढ़ के आसपास के गांवों के लोग दावा करते हैं कि रात के समय उन्हें किले से अजीब सी चीखें, घुंघरुओं की आवाजें, और स्त्रियों की कराह सुनाई देती हैं।कुछ ग्रामीणों का कहना है कि कई बार उन्होंने किले की तरफ से किसी के रोने या मदद मांगने की आवाजें भी सुनी हैं। कई लोगों को सपनों में किले की छवियां दिखाई देती हैं, और वे बेचैनी या डर की स्थिति में सुबह उठते हैं।
क्या सिर्फ मन का भ्रम है या कुछ और?
विज्ञान और तर्कवादी इन कहानियों को सिर्फ मानसिक भ्रम, अंधविश्वास और ऑडियो इल्यूजन मानते हैं। उनका कहना है कि भानगढ़ की चुप्पी, पुरानी दीवारों और सुनसान रास्तों में हवाओं की आवाजें ऐसे भ्रम पैदा कर सकती हैं।लेकिन सवाल तब गहराता है जब इन घटनाओं को न केवल पर्यटक, बल्कि स्थानीय लोग भी सालों से लगातार अनुभव करते आए हैं। भले ही कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण न हो, पर जब इतने लोग एक जैसी चीज़ें महसूस करें, तो संदेह उठना लाजमी है।
गांववालों की जीवनशैली पर असर
किले के आसपास के गांवों में रात को कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता। गांव वाले सूर्यास्त से पहले ही अपने जानवर बांध लेते हैं, और बच्चों को सख्त हिदायत होती है कि किले के पास न जाएं।कुछ गांवों में मान्यता है कि श्राप का असर आज भी बना हुआ है, और जो भी व्यक्ति ज्यादा जिज्ञासु बनकर रात में किले में प्रवेश करता है, उसके साथ कुछ न कुछ असामान्य जरूर होता है। ऐसे कई किस्से हैं जहां लोग बीमार हो गए, बेहोश हो गए या मानसिक तौर पर अस्थिर हो गए।
पर्यटन और रोमांच का केंद्र भी
इन भूतिया कहानियों के बावजूद, भानगढ़ किला आज भारत में डार्क टूरिज़्म यानी "भूतिया पर्यटन" का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। हजारों पर्यटक हर साल यहां आते हैं, खासकर वे जो रहस्य, रोमांच और अडवेंचर पसंद करते हैं।घूमने के लिहाज़ से किला दिन में बेहद खूबसूरत और फोटोजेनिक है। इसके खंडहरों में इतिहास की परछाइयाँ हैं — पुराने बाजार, मंदिर, और महल जिनकी दीवारें जैसे आज भी अतीत की गूंज को समेटे हुए हैं।