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अब दिव्यांग शख्स भी बिना हाथों के दिमाग से कंट्रोल कर सकता हैं कंप्यूटर, मगर करना होगा ये छोटा सा काम

विज्ञान की दुनिया में समय-समय पर नए-नए आविष्कार और खोजें होती रहती हैं। कई आविष्कार तो ऐसे होते हैं जिनके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। कहते हैं विज्ञान असंभव को भी संभव बना देता है..........
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विज्ञान की दुनिया में समय-समय पर नए-नए आविष्कार और खोजें होती रहती हैं। कई आविष्कार तो ऐसे होते हैं जिनके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। कहते हैं विज्ञान असंभव को भी संभव बना देता है। ऐसा ही कुछ एलन मस्क के न्यूरालिंक प्रोजेक्ट के तहत किया गया है। आपको बता दें कि एलन मस्क के न्यूरालिंक प्रोजेक्ट के तहत मानव मस्तिष्क में एक कंप्यूटर चिप लगाई जाती है और क्लिनिकल अध्ययन किया जाता है। दावा है कि इस चिप को मानव मस्तिष्क में प्रत्यारोपित करने के बाद कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

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मानव मस्तिष्क में प्रत्यारोपित एक चिप:

आपको बता दें कि एलन मस्क के इस प्रोजेक्ट को पिछले साल ही अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद जनवरी में इस प्रोजेक्ट के तहत पहले व्यक्ति के दिमाग में एक कंप्यूटर चिप लगाई गई. अब इस चिप का एक अद्भुत वीडियो सामने आया है। इस चिप को इम्प्लांट करने के बाद दिव्यांग शख्स ने वो कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नहीं होगा.

एक विकलांग व्यक्ति अपने दिमाग से कंप्यूटर को नियंत्रित करता है:

वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक शख्स कंप्यूटर को अपने दिमाग से कंट्रोल करता नजर आ रहा है. शख्स का नाम नोलैंड आर्बॉघ है। नोलैंड विकलांग है. न्यूरालिंक परियोजना के हिस्से के रूप में नॉलैंड के मस्तिष्क में इस जनवरी में एक कंप्यूटर चिप प्रत्यारोपित की गई थी। यह नोलैंड ही थे जिन्होंने इस परियोजना के तहत उनके मस्तिष्क में एक कंप्यूटर चिप लगाने को हरी झंडी दी थी। अब न्यूरालिंक ने एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में नोलैंड को बिना हाथों का इस्तेमाल किए कंप्यूटर पर शतरंज का खेल खेलते देखा जा सकता है. केवल अपने मस्तिष्क का उपयोग करके, नोलैंड कंप्यूटर को नियंत्रित करता है और विचार के माध्यम से शतरंज खेलता है।

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एलन के न्यूरालिंक प्रोजेक्ट का लक्ष्य क्या है?

आपको बता दें कि एलन के न्यूरालिंक प्रोजेक्ट का लक्ष्य यह है कि जो व्यक्ति अपने शरीर के कुछ हिस्सों का उपयोग नहीं कर सकता, वह न्यूरालिंक चिप की मदद से अपने फोन, कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग सिर्फ सोचकर कर सके। इस प्रोजेक्ट की मदद से टेलीपैथी को संभव बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

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