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अनोखा कपल: सांसों की ज़रूरत है जैसे ज़िंदगी के लिए...

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दुनिया में हर इंसान को ज़िंदा रहने के लिए भोजन की जरूरत होती है। हमारा शरीर भोजन से ही ऊर्जा प्राप्त करता है और उसी से हमारी रोजमर्रा की गतिविधियां संचालित होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे इंसान के बारे में सुना है, जो भोजन के बिना भी ज़िंदा है और वह भी न सिर्फ जिंदा, बल्कि खुद को पूरी तरह स्वस्थ और ऊर्जावान भी महसूस करता है?

अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाला एक अनोखा जोड़ा—अकार्इ रिचर्ड और कैमिला—दुनिया के इस सामान्य नियम को तोड़ते नजर आते हैं। ये दोनों दो बच्चों के माता-पिता हैं, लेकिन इनका भोजन करने का तरीका पूरी दुनिया से बिल्कुल अलग है। ये हफ्ते में मुश्किल से दो से तीन बार खाना खाते हैं और दावा करते हैं कि उन्हें ज़िंदा रहने की ऊर्जा ब्रह्मांड (यूनिवर्स) से मिलती है।

क्या कहते हैं अकार्इ और कैमिला?

इस अनोखे जोड़े के मुताबिक, उन्हें अब भूख लगने का एहसास तक नहीं होता। कैमिला का कहना है, “हमने भोजन से जुड़ी भूख, आदत और जरूरत को पार कर लिया है। अब हमारी ऊर्जा सांसों से आती है, जिसे हम ब्रह्मांड की जीवनशक्ति मानते हैं।”

अगर किसी पार्टी या समारोह में जाना होता है, तो वहां सामाजिक परिस्थितियों के चलते थोड़ा-बहुत खा लेते हैं, लेकिन वह भी एक मजबूरी की तरह। उन्हें खाने की कोई खास इच्छा या भूख नहीं होती।

कब और कैसे शुरू हुआ यह सफर?

अकार्इ और कैमिला की मुलाकात 2005 में हुई थी और तीन साल बाद 2008 में उन्होंने शादी कर ली। इसी साल से उन्होंने “ब्रेथेरियनिज्म” (Breatharianism) यानी ‘सांसों के ज़रिए जीवन जीने’ की पद्धति को अपनाना शुरू किया।

शुरुआत में उन्होंने तीन साल तक बिल्कुल कुछ नहीं खाया। यह एक तरह का प्रयोग था। उसके बाद से वह हफ्ते में दो-तीन बार हल्का भोजन लेने लगे—वो भी तब जब कभी फल खाने की इच्छा हो जाए या किसी सामाजिक अवसर पर मौजूद रहना हो।

प्रेग्नेंसी में भी नहीं खाया भोजन!

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कैमिला ने अपनी पहली प्रेग्नेंसी के दौरान केवल पाँच बार ही ठोस भोजन (solid food) लिया था। यह सुनकर किसी को भी झटका लग सकता है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को विशेष पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है।

फिर भी, कैमिला का दावा है कि उनकी दोनों प्रेग्नेंसी बिल्कुल सामान्य रहीं और बच्चे भी पूरी तरह स्वस्थ पैदा हुए। वे मानती हैं कि यह सब उनकी “ऊर्जात्मक साधना” और मानसिक संतुलन का नतीजा है।

क्या वाकई संभव है भोजन के बिना जीवन?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह दावा बेहद विवादास्पद और असंभव जैसा लगता है। मेडिकल साइंस का मानना है कि इंसान के शरीर को ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स की आवश्यकता होती है, जो केवल भोजन से ही मिल सकते हैं।

हालांकि, दुनिया में कुछ लोगों ने “ब्रेथेरियनिज्म” जैसे सिद्धांतों को अपनाने का दावा किया है, लेकिन यह पद्धति हमेशा संदेह के घेरे में रही है। कई देशों में इस पर शोध भी किए गए हैं, लेकिन कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण अभी तक सामने नहीं आया कि इंसान लंबे समय तक बिना भोजन के सिर्फ सांसों और ऊर्जा से जी सकता है।

मानसिक शांति और आर्थिक बचत

इस जोड़े का दावा है कि इस जीवनशैली से उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन मिला है। साथ ही, उनका यह भी कहना है कि खाने पर खर्च नहीं होने से उनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा बच जाता है, जिसे वे यात्रा करने, दुनिया घूमने और अपने सपनों को जीने में लगाते हैं।

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