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अधूरी हवेलियां, सूने रास्ते और डर का साया: वीडियो में देखिये कुलधरा गांव की वो कहानी जो हर इंसान को कांपने पर कर देती है मजबूर 

अधूरी हवेलियां, सूने रास्ते और डर का साया: वीडियो में देखिये कुलधरा गांव की वो कहानी जो हर इंसान को कांपने पर कर देती है मजबूर 

राजस्थान के जैसलमेर जिले से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है एक रहस्यमयी और खौफनाक गांव — कुलधरा। इतिहास की धूल में दबा यह गांव आज एक वीरान खंडहर है, लेकिन इसके पीछे छिपी कहानी आज भी लोगों को सोचने और कांपने पर मजबूर कर देती है। कुलधरा का नाम सुनते ही मन में डर, रहस्य और रहस्यमयी शक्तियों की छवि उभरने लगती है। कहा जाता है कि यह गांव एक ही रात में पूरी तरह खाली हो गया था और तब से लेकर आज तक कोई भी यहाँ बस नहीं पाया।


एक ही रात में गायब हो गया पूरा गांव!
करीब 200 साल पहले कुलधरा एक समृद्ध गांव था, जहां पालिवाल ब्राह्मणों की बड़ी बस्ती थी। खेती, व्यापार और संस्कृति में आगे रहने वाले इन लोगों का जीवन शांत और व्यवस्थित था। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि पूरी की पूरी आबादी ने रातोंरात गांव छोड़ दिया। इतिहासकारों और स्थानीय लोगों की मानें तो गांव के लोगों को किसी शक्ति या सत्ताधारी से इतना भय था कि उन्होंने न केवल कुलधरा, बल्कि आसपास के 83 गांव भी खाली कर दिए।

सलिम सिंह की काली नजर और शापित धरती
कहानी के मुताबिक जैसलमेर के तत्कालीन दीवान सलिम सिंह की नजर कुलधरा के मुखिया की बेटी पर पड़ गई थी। वह लड़की की सुंदरता पर मोहित हो गया और जबरदस्ती उससे विवाह करना चाहता था। उसने गांव वालों को धमकी दी कि यदि उन्होंने शादी के लिए मना किया, तो वे गंभीर परिणाम भुगतेंगे। अपमान, डर और प्रताड़ना के बीच गांववासियों ने एक रात सामूहिक निर्णय लिया — गांव छोड़ने का।रातोंरात कुलधरा और आसपास के सभी 83 गांव वीरान हो गए। लेकिन जाते-जाते पालिवाल ब्राह्मणों ने कुलधरा को एक भयानक श्राप दिया — कि यहां अब कोई नहीं बस पाएगा। और सच भी यही है, आज तक कोई व्यक्ति या परिवार यहां स्थायी रूप से नहीं रह पाया।

क्या आज भी भटकती हैं आत्माएं?
कुलधरा आज एक पर्यटन स्थल है, लेकिन यहां आने वालों को आज भी अजीब आवाज़ें, छायाएं और अंधेरे में होती हलचलों का अनुभव होता है। स्थानीय लोग और गाइड बताते हैं कि कई बार रात के समय यहां से चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती हैं, तो कभी किसी के पैरों की आहटें सुनाई देती हैं। कई शोधकर्ताओं और पैरानॉर्मल टीमों ने यहां रिसर्च की है और बताया है कि यहां कुछ “असाधारण” ऊर्जा मौजूद है।

वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
हालांकि वैज्ञानिक और पुरातत्व विशेषज्ञ इन बातों को केवल “मनोवैज्ञानिक प्रभाव” या “प्राकृतिक प्रक्रियाओं” से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि सूखा, पानी की कमी और प्रशासनिक उत्पीड़न के कारण लोगों ने गांव छोड़ा होगा। लेकिन सवाल आज भी वही है — एक साथ 84 गांवों का खाली हो जाना क्या इतना आसान था?

कुलधरा: अब रहस्य और रोमांच का केंद्र
आज कुलधरा एक संरक्षित पुरातात्विक स्थल है। सरकार ने इसे पर्यटन के लिए खोला है, और हर साल हजारों लोग इस रहस्यमयी गांव को देखने आते हैं। वीरान गलियाँ, टूटी-फूटी हवेलियाँ, और खामोशी से भरे रास्ते आज भी जैसे किसी अनदेखी कहानी को कहना चाहते हैं।क्या कुलधरा सिर्फ एक ऐतिहासिक रहस्य है, या फिर सचमुच किसी श्राप और खौफनाक साए की गिरफ्त में है? इसका जवाब शायद कभी ना मिले। लेकिन जब भी कोई वहां जाता है, वो एक सिहरन, एक डर और एक अधूरी कहानी लेकर जरूर लौटता है।

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