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अविश्वनीय: ये महिला शख्स के मरने से पहले सूंघ लेती 'मौत की महक'

दुनिया में कई रहस्य और घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्हें विज्ञान अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाया है। मौत एक ऐसी ही सच्चाई है, जो हर इंसान की जिंदगी में एक न एक दिन आती है, लेकिन कब और कैसे – इसका किसी को अंदाजा नहीं होता। ऐसे में अगर कोई यह दावा करे कि उसे पहले से ही पता चल जाता है कि किसकी मौत होने वाली है, तो यह सुनकर लोग या तो उसे अंधविश्वासी कहेंगे या फिर झूठा करार देंगे।  लेकिन ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली अरी कला नामक एक महिला ने ऐसा दावा करके दुनिया को हैरान कर दिया है। 24 साल की यह महिला कहती है कि वह "मौत को सूंघ सकती है" — यानी जब भी किसी व्यक्ति की मौत करीब होती है, उसे एक खास महक आने लगती है, जो संकेत देती है कि उस व्यक्ति की जिंदगी का अंत निकट है।  कैसे हुई अरी को अपनी इस शक्ति का अहसास? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरी को अपनी इस खास शक्ति का पता उस वक्त चला जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी। एक दिन वह अपने अंकल के घर गई, जहां उसे एक मीठी सी महक महसूस हुई। जब उसने घरवालों से इस बारे में पूछा, तो सबने इनकार कर दिया — किसी को कोई महक नहीं आ रही थी।  उस घटना के कुछ ही दिनों बाद अरी के अंकल की मौत हो गई। इसके बाद जब भी अरी को वही महक किसी और के पास आती महसूस हुई, कुछ ही समय में उस व्यक्ति की भी मौत हो गई। यही क्रम बार-बार दोहराया गया, जिससे अरी को यकीन हो गया कि वह मौत से पहले आने वाली एक खास सुगंध को महसूस करने की क्षमता रखती है।  क्या है यह महक? अरी के अनुसार, यह महक कोई आम गंध नहीं होती। यह एक मीठी लेकिन असामान्य सी खुशबू होती है, जिसे केवल वह ही सूंघ सकती है। जब भी उसे यह गंध आती है, वह समझ जाती है कि किसी की जिंदगी खतरे में है और उसकी मृत्यु निकट है।  हालांकि, यह जानने के बावजूद वह किसी की जान नहीं बचा सकती। यही बात अरी को सबसे ज्यादा पीड़ा देती है।  क्यों नहीं बताती किसी को? अरी कहती हैं कि जब उन्हें यह महक आती है, तो वह यह बात किसी को नहीं बताती। क्योंकि इससे न केवल डर का माहौल बनता है, बल्कि लोग उसे पागल या अंधविश्वासी समझने लगते हैं। इसके अलावा, वह इस डर से भी चुप रहती हैं कि वह किसी की जिंदगी के आखिरी पल डर और चिंता में ना बदल दे।  उनका कहना है कि यह शक्ति उनके किसी काम की नहीं है, क्योंकि वह मौत को आते हुए तो देख सकती हैं, लेकिन उसे टाल नहीं सकतीं।  क्या कहता है विज्ञान? विज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो अभी तक किसी इंसान के पास मौत को "सूंघने" जैसी क्षमता होने का कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिक शोध यह संकेत देते हैं कि मानव शरीर से मौत के करीब पहुंचने पर कुछ विशेष रासायनिक बदलाव होते हैं, जो जानवरों द्वारा सूंघे जा सकते हैं — जैसे कुत्ते या बिल्ली कभी-कभी बीमार या मरने वाले व्यक्ति के पास जाकर बैठ जाते हैं।  मगर इंसानों में ऐसी क्षमता होना अब भी विज्ञान के लिए एक अनसुलझी पहेली है। अरी का दावा फिलहाल अनुभवजन्य (experiential) है, और इस पर कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।  अंधविश्वास या अलौकिक शक्ति? समाज में ऐसे दावे अक्सर अंधविश्वास करार दिए जाते हैं। लेकिन जब कोई घटना लगातार बार-बार सच साबित होती है, तो उसे नकारना आसान नहीं होता। अरी की कहानी भी ऐसी ही है — एक ऐसी महिला की जो खुद को इस "शक्ति" से परेशान मानती है, ना कि इसका गर्व करती है।  वह इसे एक "भारी जिम्मेदारी" के रूप में देखती हैं, न कि किसी चमत्कार के रूप में। और शायद यही बात उसे बाकी झूठे दावों से अलग बनाती है।  निष्कर्ष: क्या वाकई कोई मौत को सूंघ सकता है? अरी कला की कहानी कई सवाल खड़े करती है — क्या इंसान के पास ऐसी इंद्रिय या sixth sense हो सकती है जो मृत्यु को महसूस कर सके? क्या यह महज संयोग है या फिर कोई अलौकिक शक्ति?  इसका जवाब शायद भविष्य में मिलने वाले वैज्ञानिक शोधों में छिपा हो। लेकिन जब तक वह दिन नहीं आता, तब तक अरी की यह कहानी रहस्य और यथार्थ के बीच झूलती एक ऐसी कहानी है, जो हमें सोचने पर मजबूर करती है — क्या हम अपनी आने वाली मौत को पहले से सूंघ सकते हैं?

दुनिया में कई रहस्य और घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्हें विज्ञान अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाया है। मौत एक ऐसी ही सच्चाई है, जो हर इंसान की जिंदगी में एक न एक दिन आती है, लेकिन कब और कैसे – इसका किसी को अंदाजा नहीं होता। ऐसे में अगर कोई यह दावा करे कि उसे पहले से ही पता चल जाता है कि किसकी मौत होने वाली है, तो यह सुनकर लोग या तो उसे अंधविश्वासी कहेंगे या फिर झूठा करार देंगे।

लेकिन ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली अरी कला नामक एक महिला ने ऐसा दावा करके दुनिया को हैरान कर दिया है। 24 साल की यह महिला कहती है कि वह "मौत को सूंघ सकती है" — यानी जब भी किसी व्यक्ति की मौत करीब होती है, उसे एक खास महक आने लगती है, जो संकेत देती है कि उस व्यक्ति की जिंदगी का अंत निकट है।

कैसे हुई अरी को अपनी इस शक्ति का अहसास?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरी को अपनी इस खास शक्ति का पता उस वक्त चला जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी। एक दिन वह अपने अंकल के घर गई, जहां उसे एक मीठी सी महक महसूस हुई। जब उसने घरवालों से इस बारे में पूछा, तो सबने इनकार कर दिया — किसी को कोई महक नहीं आ रही थी।

उस घटना के कुछ ही दिनों बाद अरी के अंकल की मौत हो गई। इसके बाद जब भी अरी को वही महक किसी और के पास आती महसूस हुई, कुछ ही समय में उस व्यक्ति की भी मौत हो गई। यही क्रम बार-बार दोहराया गया, जिससे अरी को यकीन हो गया कि वह मौत से पहले आने वाली एक खास सुगंध को महसूस करने की क्षमता रखती है।

क्या है यह महक?

अरी के अनुसार, यह महक कोई आम गंध नहीं होती। यह एक मीठी लेकिन असामान्य सी खुशबू होती है, जिसे केवल वह ही सूंघ सकती है। जब भी उसे यह गंध आती है, वह समझ जाती है कि किसी की जिंदगी खतरे में है और उसकी मृत्यु निकट है।

हालांकि, यह जानने के बावजूद वह किसी की जान नहीं बचा सकती। यही बात अरी को सबसे ज्यादा पीड़ा देती है।

क्यों नहीं बताती किसी को?

अरी कहती हैं कि जब उन्हें यह महक आती है, तो वह यह बात किसी को नहीं बताती। क्योंकि इससे न केवल डर का माहौल बनता है, बल्कि लोग उसे पागल या अंधविश्वासी समझने लगते हैं। इसके अलावा, वह इस डर से भी चुप रहती हैं कि वह किसी की जिंदगी के आखिरी पल डर और चिंता में ना बदल दे।

उनका कहना है कि यह शक्ति उनके किसी काम की नहीं है, क्योंकि वह मौत को आते हुए तो देख सकती हैं, लेकिन उसे टाल नहीं सकतीं।

क्या कहता है विज्ञान?

विज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो अभी तक किसी इंसान के पास मौत को "सूंघने" जैसी क्षमता होने का कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिक शोध यह संकेत देते हैं कि मानव शरीर से मौत के करीब पहुंचने पर कुछ विशेष रासायनिक बदलाव होते हैं, जो जानवरों द्वारा सूंघे जा सकते हैं — जैसे कुत्ते या बिल्ली कभी-कभी बीमार या मरने वाले व्यक्ति के पास जाकर बैठ जाते हैं।

मगर इंसानों में ऐसी क्षमता होना अब भी विज्ञान के लिए एक अनसुलझी पहेली है। अरी का दावा फिलहाल अनुभवजन्य (experiential) है, और इस पर कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।

अंधविश्वास या अलौकिक शक्ति?

समाज में ऐसे दावे अक्सर अंधविश्वास करार दिए जाते हैं। लेकिन जब कोई घटना लगातार बार-बार सच साबित होती है, तो उसे नकारना आसान नहीं होता। अरी की कहानी भी ऐसी ही है — एक ऐसी महिला की जो खुद को इस "शक्ति" से परेशान मानती है, ना कि इसका गर्व करती है।

वह इसे एक "भारी जिम्मेदारी" के रूप में देखती हैं, न कि किसी चमत्कार के रूप में। और शायद यही बात उसे बाकी झूठे दावों से अलग बनाती है।

निष्कर्ष: क्या वाकई कोई मौत को सूंघ सकता है?

अरी कला की कहानी कई सवाल खड़े करती है — क्या इंसान के पास ऐसी इंद्रिय या sixth sense हो सकती है जो मृत्यु को महसूस कर सके? क्या यह महज संयोग है या फिर कोई अलौकिक शक्ति?

इसका जवाब शायद भविष्य में मिलने वाले वैज्ञानिक शोधों में छिपा हो। लेकिन जब तक वह दिन नहीं आता, तब तक अरी की यह कहानी रहस्य और यथार्थ के बीच झूलती एक ऐसी कहानी है, जो हमें सोचने पर मजबूर करती है — क्या हम अपनी आने वाली मौत को पहले से सूंघ सकते हैं?

दुनिया में कई रहस्य और घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्हें विज्ञान अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाया है। मौत एक ऐसी ही सच्चाई है, जो हर इंसान की जिंदगी में एक न एक दिन आती है, लेकिन कब और कैसे – इसका किसी को अंदाजा नहीं होता। ऐसे में अगर कोई यह दावा करे कि उसे पहले से ही पता चल जाता है कि किसकी मौत होने वाली है, तो यह सुनकर लोग या तो उसे अंधविश्वासी कहेंगे या फिर झूठा करार देंगे।

लेकिन ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली अरी कला नामक एक महिला ने ऐसा दावा करके दुनिया को हैरान कर दिया है। 24 साल की यह महिला कहती है कि वह "मौत को सूंघ सकती है" — यानी जब भी किसी व्यक्ति की मौत करीब होती है, उसे एक खास महक आने लगती है, जो संकेत देती है कि उस व्यक्ति की जिंदगी का अंत निकट है।

कैसे हुई अरी को अपनी इस शक्ति का अहसास?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरी को अपनी इस खास शक्ति का पता उस वक्त चला जब वह 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी। एक दिन वह अपने अंकल के घर गई, जहां उसे एक मीठी सी महक महसूस हुई। जब उसने घरवालों से इस बारे में पूछा, तो सबने इनकार कर दिया — किसी को कोई महक नहीं आ रही थी।

उस घटना के कुछ ही दिनों बाद अरी के अंकल की मौत हो गई। इसके बाद जब भी अरी को वही महक किसी और के पास आती महसूस हुई, कुछ ही समय में उस व्यक्ति की भी मौत हो गई। यही क्रम बार-बार दोहराया गया, जिससे अरी को यकीन हो गया कि वह मौत से पहले आने वाली एक खास सुगंध को महसूस करने की क्षमता रखती है।

क्या है यह महक?

अरी के अनुसार, यह महक कोई आम गंध नहीं होती। यह एक मीठी लेकिन असामान्य सी खुशबू होती है, जिसे केवल वह ही सूंघ सकती है। जब भी उसे यह गंध आती है, वह समझ जाती है कि किसी की जिंदगी खतरे में है और उसकी मृत्यु निकट है।

हालांकि, यह जानने के बावजूद वह किसी की जान नहीं बचा सकती। यही बात अरी को सबसे ज्यादा पीड़ा देती है।

क्यों नहीं बताती किसी को?

अरी कहती हैं कि जब उन्हें यह महक आती है, तो वह यह बात किसी को नहीं बताती। क्योंकि इससे न केवल डर का माहौल बनता है, बल्कि लोग उसे पागल या अंधविश्वासी समझने लगते हैं। इसके अलावा, वह इस डर से भी चुप रहती हैं कि वह किसी की जिंदगी के आखिरी पल डर और चिंता में ना बदल दे।

उनका कहना है कि यह शक्ति उनके किसी काम की नहीं है, क्योंकि वह मौत को आते हुए तो देख सकती हैं, लेकिन उसे टाल नहीं सकतीं।

क्या कहता है विज्ञान?

विज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो अभी तक किसी इंसान के पास मौत को "सूंघने" जैसी क्षमता होने का कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिक शोध यह संकेत देते हैं कि मानव शरीर से मौत के करीब पहुंचने पर कुछ विशेष रासायनिक बदलाव होते हैं, जो जानवरों द्वारा सूंघे जा सकते हैं — जैसे कुत्ते या बिल्ली कभी-कभी बीमार या मरने वाले व्यक्ति के पास जाकर बैठ जाते हैं।

मगर इंसानों में ऐसी क्षमता होना अब भी विज्ञान के लिए एक अनसुलझी पहेली है। अरी का दावा फिलहाल अनुभवजन्य (experiential) है, और इस पर कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।

अंधविश्वास या अलौकिक शक्ति?

समाज में ऐसे दावे अक्सर अंधविश्वास करार दिए जाते हैं। लेकिन जब कोई घटना लगातार बार-बार सच साबित होती है, तो उसे नकारना आसान नहीं होता। अरी की कहानी भी ऐसी ही है — एक ऐसी महिला की जो खुद को इस "शक्ति" से परेशान मानती है, ना कि इसका गर्व करती है।

वह इसे एक "भारी जिम्मेदारी" के रूप में देखती हैं, न कि किसी चमत्कार के रूप में। और शायद यही बात उसे बाकी झूठे दावों से अलग बनाती है।

निष्कर्ष: क्या वाकई कोई मौत को सूंघ सकता है?

अरी कला की कहानी कई सवाल खड़े करती है — क्या इंसान के पास ऐसी इंद्रिय या sixth sense हो सकती है जो मृत्यु को महसूस कर सके? क्या यह महज संयोग है या फिर कोई अलौकिक शक्ति?

इसका जवाब शायद भविष्य में मिलने वाले वैज्ञानिक शोधों में छिपा हो। लेकिन जब तक वह दिन नहीं आता, तब तक अरी की यह कहानी रहस्य और यथार्थ के बीच झूलती एक ऐसी कहानी है, जो हमें सोचने पर मजबूर करती है — क्या हम अपनी आने वाली मौत को पहले से सूंघ सकते हैं?

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