अविश्वसनीय लेकिन सच! इस मंदिर में नहीं है कोई भगवान और न ही कोई पुजारी, जानिए इस अनोखे स्थल का रहस्य

दिल्ली में स्थित यह मंदिर अपने आप में बहुत अद्भुत है। यह बहाई पूजा स्थल है, जिसे कमल मंदिर या लोटस टेंपल के नाम से जाना जाता है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ किसी भी तरह का धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है।
पवित्रता और शांति का प्रतीक
इस मंदिर में विभिन्न धर्मों से संबंधित पवित्र लेखन पढ़े जाते हैं। यह मंदिर कमल के आकार का है। क्योंकि भारत में कमल का फूल पवित्रता और शांति का प्रतीक है, जिसे भगवान के अवतार का संकेत भी माना जाता है। इस मंदिर का शांत और अनोखा वातावरण प्रार्थना और ध्यान के लिए बहुत अच्छा है। इसका उल्लेख भारत के सबसे अमीर मंदिरों की सूची में किया गया है।
इसे लोटस टेंपल क्यों कहा जाता है?
इस मंदिर का उद्घाटन 24 दिसंबर 1986 को हुआ था, जिसे 1 जनवरी 1987 को आम जनता के लिए खोल दिया गया था। यह मंदिर कमल के आकार का बना हुआ है। इसीलिए इसे कमल मंदिर या लोटस टेंपल के नाम से जाना जाता है।
कोई मूर्ति नहीं और कोई पुजारी नहीं
लोटस टेंपल का असली नाम बहाई उपासना मंदिर है। इस मंदिर का उपयोग भक्तों को आध्यात्मिक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है। खास बात यह है कि इस मंदिर में कोई पुजारी नहीं है।