यहां शिवजी को अर्पित किए जाते हैं हजारों जिंदा केकड़े, मिलती है कैंसरी जैसी बीमारी से मुक्ति, वीडियो में देखें इसके पीछे की पौराणिक मान्यता
भारत की विविधता भरी परंपराओं और आस्था से जुड़े अनोखे मंदिरों में कई ऐसे रहस्य छिपे हैं, जिन्हें जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है जहां भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हजारों जिंदा केकड़े अर्पित किए जाते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है और ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान शिव की पूजा करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से भी मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मान्यता के बारे में विस्तार से।
कहां है यह अनोखा मंदिर?
यह अद्भुत मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के पुरी जिले में स्थित है। मंदिर का नाम कापिलेश्वर शिव मंदिर है। यह स्थान स्थानीय लोगों की अटूट आस्था का केंद्र है। यहां हर साल विशेष अवसरों पर हजारों लोग आते हैं और भगवान शिव को जिंदा केकड़े अर्पित करते हैं। माना जाता है कि कर्क रोग, जिसे हम कैंसर कहते हैं, से पीड़ित लोग जब यहां आकर भगवान शिव को केकड़े अर्पित करते हैं तो उन्हें बीमारी से राहत मिलती है।
क्या है इस परंपरा की पौराणिक मान्यता?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार एक ऋषि ने भगवान शिव की तपस्या की थी और उनसे वरदान मांगा था कि जो भी व्यक्ति कैंसर जैसी घातक बीमारी से पीड़ित होगा, उसे इस मंदिर में जिंदा केकड़ा चढ़ाने से मुक्ति मिल जाएगी। केकड़े को कैंसर का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि केकड़े को शिवजी के समर्पण में अर्पित करने से बीमारी दूर हो जाती है, क्योंकि यह एक प्रकार से बुरे ग्रहों की शांति और शरीर से बुरे तत्वों को बाहर निकालने का प्रतीकात्मक उपाय है।
कैसे होती है यह पूजा?
पूजा विधि बहुत विशेष होती है। पहले भक्त मंदिर परिसर के पवित्र कुंड में स्नान करते हैं, फिर अपने साथ लाए हुए जिंदा केकड़ों को भगवान शिव की प्रतिमा के सामने अर्पित करते हैं। इसके बाद केकड़ों को पास के नदी या तालाब में छोड़ दिया जाता है। कहा जाता है कि इस अनुष्ठान के बाद रोगी के स्वास्थ्य में चमत्कारिक सुधार होता है। लोग इसे भगवान शिव की महिमा मानते हैं।
कैंसर जैसी बीमारियों से मिलती है राहत?
यहां आने वाले कई श्रद्धालु दावा करते हैं कि उन्होंने इस पूजा के बाद खुद को बेहतर महसूस किया। कुछ लोगों ने तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पूरी तरह मुक्ति मिलने का दावा भी किया है। हालाँकि, चिकित्सा विज्ञान इस प्रकार की मान्यता को स्वीकार नहीं करता, लेकिन आस्था और विश्वास का अपना अलग ही स्थान है।
निष्कर्ष
भारत में आस्था और विश्वास की कहानियां अनेक हैं, और यह मंदिर उनमें से एक अनूठा उदाहरण है। जिंदा केकड़े अर्पित करने की यह परंपरा किसी को अचरज में डाल सकती है, लेकिन यह स्थानीय लोगों की आस्था का प्रतीक है। यदि आप भी भगवान शिव के इस अद्भुत मंदिर में दर्शन करना चाहते हैं, तो ओडिशा के पुरी जिले में स्थित इस पवित्र स्थान की यात्रा अवश्य करें।