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दुनिया के इस मंदिर में है 'नरक का दरवाजा', वैज्ञानिकों ने खोला राज

इस दुनिया में कई मंदिर ऐसे हैं जो रहस्यमयी हैं। कई मंदिर ऐसे हैं जिनके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। वैज्ञानिक भी इनके रहस्य का पता नहीं लगा पाए हैं। ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर मैक्सिको के टियोतिहुआकन शहर में भी है। यहां एक प्राचीन पिरामिड है, जिसे...
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इस दुनिया में कई मंदिर ऐसे हैं जो रहस्यमयी हैं। कई मंदिर ऐसे हैं जिनके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। वैज्ञानिक भी इनके रहस्य का पता नहीं लगा पाए हैं। ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर मैक्सिको के टियोतिहुआकन शहर में भी है। यहां एक प्राचीन पिरामिड है, जिसे क्वेटजालकोटल का मंदिर भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इसमें दूसरी दुनिया यानी पाताल के जाने का दरवाजा है। इसे विंग्ड सर्पेंट पिरामिड भी कहा जाता है। कुछ साल पहले इसमें रहस्यमयी तरल पारा पाया गया था। वैज्ञानिकों ने जांच की तो पाया कि यह एक खास नदी है जो पाताल तक जाती है।

सुरंग के कक्षों में मिला था पारा:

क्वेटजालकोटल मंदिर करीब 1800-1900 साल पुराना है। 2015 में खुदाई के दौरान तरल पारा मिला था। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह पारा पाताल की नदी का प्रतीक है। उनका कहना है कि यह मंदिर अलौकिक दुनिया से जुड़ा हुआ है। हो सकता है कि यह पाताल का द्वार हो। शोधकर्ता डॉ. सर्जियो गोमेज़ ने 2003 में इसकी सुरंग खोली थी। खुदाई छह साल तक चली थी। इसमें 300 फीट लंबी सुरंग थी जिसके अंत में तीन कक्ष मिले थे। इन कक्षों में तरल पारा था। इसके अलावा जेड की मूर्तियाँ, जगुआर के अवशेष, नक्काशीदार शंख और रबर की गेंदें भी मिलीं। ये सभी चीज़ें मंदिर से 60 फीट नीचे थीं। इतना ही नहीं, 16 साल की खुदाई में 3,000 से ज़्यादा अनुष्ठान संबंधी वस्तुएँ मिली हैं। शोधकर्ताओं ने पिरामिड और सुरंगों का नक्शा बनाने के लिए लिडार स्कैनर और फोटोग्रामेट्री का इस्तेमाल किया।

नर्क की नदी या झील!

वैज्ञानिकों का कहना है कि तरल पारा राजा की कब्र या अनुष्ठान कक्ष का संकेत देता है। डॉ. रोज़मेरी जॉयस ने कहा कि तरल पारा असामान्य नहीं है। यह मध्य अमेरिका में तीन अन्य स्थानों पर भी पाया गया है। उनका कहना है कि पारा अंडरवर्ल्ड की नदी या झील का प्रतीक है। डॉ. एनाबेथ हेड्रिक ने भी यही बात कही। उन्होंने बताया कि पारा चमकते हुए दर्पण की तरह होता है।

अनसुलझा रहस्य:

क्वेटज़ालकोटल का मंदिर मेसोअमेरिकन संस्कृति का केंद्र था। हर साल 45 लाख लोग इसे देखने आते हैं। यह तीसरा सबसे बड़ा पिरामिड है। इसे 1987 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। 1980 के दशक में इसके नीचे सौ से ज़्यादा मानव अवशेष मिले थे। एज़्टेक मानते थे कि इस मंदिर में देवताओं की रचना हुई थी। वे यहाँ बलि चढ़ाते थे। यह मंदिर उनके लिए पवित्र था। इस मंदिर के रहस्य लोगों को आकर्षित करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि तरल पारा अनुष्ठानों का हिस्सा था। यह पाताल लोक की यात्रा का प्रतीक हो सकता है। सुरंगों और कक्षों की संरचना से पता चलता है कि यह मंदिर जटिल धार्मिक कार्यों के लिए था। क्वेटज़ालकोटल मंदिर का रहस्य अभी पूरी तरह से सामने नहीं आया है। शोधकर्ता और भी बहुत कुछ खोज रहे हैं।

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