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कई रहस्‍यों से भरा है शनिदेव का ये मंदिर, यहां आज भी घरों में नहीं लगाए जाते ताले

शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मों का स्वामी माना जाता है। शनि जयंती सोमवार, 30 मई को है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्य और माता छाया के पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। वैसे तो देशभर में शनिदेव के सैकड़ों मंदिर हैं, लेकिन शनिदेव का एक मंदिर ऐसा भी है जो अपने आप में एक रहस्य है। यह शनि शिंगणापुर मंदिर है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास बातें और क्यों इसे रहस्य माना जाता है...

शनि शिंगणापुर मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शनिदेव स्वयंभू हैं। यहां भगवान शनि की पूजा काले पत्थर के रूप में की जाती है। कहा जाता है कि यहां भगवान शनिदेव काले पत्थर के रूप में प्रकट हुए थे। ऐसा माना जाता है कि कलियुग के आरंभ में कुछ चरवाहों को यह काली मूर्ति मिली थी। शनिदेव के बारे में मान्यता है कि अगर शनिदेव आप पर मेहरबान हो गए तो आपको रंक से राजा बना देंगे और अगर उनकी आप पर बुरी नजर पड़ गई तो आपको रंक से राजा बनने में देर नहीं लगेगी।

शनि शिंगणापुर अपने आप में दुनिया का पहला ऐसा गांव है जहां घरों में न तो दरवाजे हैं और न ही यहां कोई ताले लगाता है। सबसे खास बात यह है कि आज तक यहां किसी भी तरह की चोरी नहीं हुई है। यहां तक ​​कि बैंकों के दरवाजों पर भी ताले नहीं होते। कहा जाता है कि यहां कोई चोरी करने की हिम्मत नहीं करता और अगर कोई चोरी करने की हिम्मत कर भी ले तो शनिदेव स्वयं उसे दंड देते हैं।

यहां भगवान शनि की पूजा काले पत्थर के रूप में की जाती है तथा इस पत्थर को खुले आसमान के नीचे स्थापित किया जाता है। इसके पीछे भी एक कहानी है. कहा जाता है कि जब चरवाहे को शनि की यह मूर्ति मिली तो शनिदेव स्वयं उसके सपने में आये। मूर्ति की पूजा की विधि समझाते हुए उन्होंने कहा कि इस मूर्ति को खुले आसमान के नीचे रखना होता है। पूरा आसमान मेरी छत है. तब से यह प्रतिमा खुले आसमान के नीचे स्थापित है। यहां भगवान शनि का तेल से अभिषेक किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां आने वाले व्यक्ति के जीवन से शनिदेव सभी कष्ट दूर कर देते हैं।

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