बेहद चमत्कारी है जावर माता का ये मंदिर! यहां गांव में चारों ओर चांदी का है भंडार, फिर भी है सुरक्षित

दक्षिणी राजस्थान के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक जावर माता मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि इसके साथ ऐतिहासिक और भौगोलिक विशेषता भी जुड़ी हुई है। उदयपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर जावर गांव में स्थित यह मंदिर चांदी के विशाल भंडार पर स्थित है। यही कारण है कि जावर माता की महिमा राजस्थान से लेकर गुजरात तक प्रसिद्ध है।
चाँदी के तट पर विराजमान जावर माता
जावर गांव अपनी प्राकृतिक संपदा और धातु खनन के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां करीब ढाई हजार साल से खनन हो रहा है और यह इलाका चांदी और जस्ता की खदानों से समृद्ध है। चमत्कारिक रूप से, तथा जावर माता की कृपा से खनन कार्य के कारण भूमि का कटाव एक किलोमीटर गहरा हो गया है, लेकिन फिर भी गांव पूरी तरह सुरक्षित है। मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता देवी की मूर्ति है। दरअसल, जहां महिषासुर मर्दिनी को आमतौर पर उग्र रूप में दिखाया जाता है, वहीं जवार माता को शांत रूप में विराजमान किया जाता है। इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्त जो भी प्रार्थना करते हैं, माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
मंदिर निर्माण में लगे 100 वर्ष
इतिहासकारों के अनुसार जावर गांव की मिट्टी में भी धातुएं मिली हुई हैं, जिससे यहां प्राचीन काल से खनन होने का प्रमाण मिलता है। इस मंदिर का निर्माण उदयपुर शहर की स्थापना से भी पहले दसवीं शताब्दी में इदर रियासत के राजा द्वारा करवाया गया था। मंदिर के अंदर के शिलालेख इस बात का प्रमाण हैं कि इसके निर्माण में लगभग 100 वर्ष लगे थे। आपको बता दें, जब महाराणा उदय सिंह ने उदयपुर शहर बसाया, तब मेवाड़ के शासकों ने भी इस मंदिर में जावर माता की पूजा की और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया।
चैत्र नवरात्रि में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
विशेषकर चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से भक्तजन आकर माता के चरणों में शीश झुकाते हैं तथा अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। चैत्र नवरात्रि में मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है, विशेष पूजा और जागरण का आयोजन किया जाता है।
आस्था का अनूठा केंद्र
जावर माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि इतिहास, संस्कृति और चमत्कारों का संगम है। भक्तों का मानना है कि जो भी यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है, माता उसकी झोली भर देती हैं। भक्तजन नवरात्रि के अवसर पर इस दिव्य स्थान पर आकर माता जवार वाली की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।